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CAA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से CAA को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा था कि यह अधिनियम किसी भी तरह से असम में अवैध प्रवास को प्रोत्साहित नहीं करता है। इसको लेकर गलत आशंकाएं फैलाई जा रही हैं।

Written By: Shashi Rai @km_shashi
Updated on: December 06, 2022 7:45 IST
सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : फाइल फोटो सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट आज नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 232 याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। बीते 31 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान पूर्व CJI यू यू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने 2 हफ्ते के अंदर असम और त्रिपुरा को इससे जुड़े मामले में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। वहीं केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए इन याचिकाओं को खारिज करने की अपील की थी।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा था कि CAA कानून का एक छोटा सा टुकड़ा है, जो भारतीय नागरिकता को प्राप्त करने के लिए बने नियम को प्रभावित नहीं करता है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से CAA को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह अधिनियम किसी भी तरह से असम में अवैध प्रवास को प्रोत्साहित नहीं करता है। इसको लेकर गलत आशंकाएं फैलाई जा रही हैं। 

क्या है CAA-2019 कानून?  

नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA को आसान भाषा में समझा जाए तो इसके तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम प्रवासी इनमें भी 6 समुदाय- हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी को भारत की नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है। इससे पहले भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 11 साल तक भारत में रहना जरूरी था। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत इस नियम को आसान बनाया गया है और नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 से 6 साल किया गया है। यह कानून उन लोगों पर लागू होगा जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे। इस कानून के तहत भारत की नागरिकता हासिल करने लिए प्रवासियों को आवेदन करना होगा। 

आवेदन में इन बातों को बताना होगा

  1. प्रवासियों को दिखाना होगा कि वो भारत में पांच साल रह चुके हैं।  
  2. उन्हें ये साबित करना होगा कि वे अपने देशों से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए हैं। 
  3. वो उन भाषाओं को बोलते हैं जो संविधान की आठवीं अनुसूची में हैं। इसके साथ ही नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को पूरा करते हों। 

इनकी पुष्टि करने के बाद ही प्रवासी आदेन के पात्र होंगे। उसके बाद भी भारत सरकार निर्णय करेगी कि इन लोगों को नागरिकता देनी है या नहीं। 

CCA का क्यों हो रहा विरोध?

इसके विरोध की मुख्य वजह यह है कि इस संशोधन अधिनियम में मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया गया। विरोध करने वालों का कहना है कि इसमें संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है। 

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