Monday, November 04, 2024
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कावेरी जल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, कई किसान संगठनों ने बुलाया बेंगलुरु बंद

कावेरी जल मुद्दे को लेकर कर्नाटक-तमिलनाडु के बीच विवाद है। इसी मुद्दे को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। जिसकी वजह से बेंगलुरु में कई किसान संगठन सड़क पर उतर आए हैं और उन्होंने बंद बुलाया है।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Updated on: September 26, 2023 7:11 IST
Supreme Court- India TV Hindi
Image Source : FILE सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: कावेरी जल मुद्दे को लेकर विभिन्न संगठनों ने बेंगलुरु बंद बुलाया है। बीएमटीसी के मुताबिक, बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के सभी रूट हमेशा की तरह चालू रहेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज कावेरी जल मुद्दे पर सुनवाई होगी। इस मामले में कर्नाटक-तमिलनाडु के बीच विवाद है।

एचडी देवेगौड़ा ने पीएम मोदी को लिखा था पत्र

गौरतलब है कि हालही में कावेरी जल व‍िवाद को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत ल‍िखा था। सोमवार को लिखे खत में देवेगौड़ा ने कहा था कि पीएम कावेरी नदी क्षेत्र के सभी जलाशयों की स्‍टडी के लिए कोई बाहरी एजेंसी नियुक्त करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय को निर्देश दें। ये एजेंसी इस नदी से जुड़े विवाद में शामिल राज्यों और केंद्र सरकार से स्वतंत्र होनी चाहिए। देवेगौड़ा ने ये भी कहा था इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर के बीच) के नाकाम रहने की वजह से कर्नाटक में कावेरी नदी क्षेत्र के चार जलाशयों में पर्याप्त जल भंडार नहीं है।

क्या है कावेरी विवाद?

कावेरी जल विवाद दरअसल दो राज्यों के बीच है। कर्नाटक और तमिलनाडु के लोग इस मुद्दे को लेकर आमने सामने हैं। इसके तार साल 1892 और 1924 से जुड़े माने जा सकते हैं, जब मद्रास प्रेसीडेंसी और मैसूर साम्राज्य के बीच दो समझौते हुए थे। दरअसल केंद्र ने तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और पुडुचेरी के बीच जल बंटवारे की क्षमता पर जो असहमति थी, उन्हें दूर करने की कोशिश की और जून 1990 में कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) की स्थापना की।

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर साल 2018 में फैसला भी सुनाया और बताया कि कर्नाटक को कितना पानी रखना चाहिए और तमिलनाडु को कितना पानी दिया जाना चाहिए। उस फैसले के मुताबिक, कर्नाटक को जून और मई के बीच ‘सामान्य’ जल वर्ष में तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी आवंटित करना होगा।

इस साल, कर्नाटक को जून से सितंबर तक कुल 123.14 टीएमसी देना था लेकिन अगस्त में तमिलनाडु ने 15 दिनों के लिए 15,000 क्यूसेक पानी की मांग की। सीडब्ल्यूएमए द्वारा 11 अगस्त को पानी की मात्रा घटाकर 10,000 क्यूसेक की गई। हालांकि सरकार ने आरोप लगाया है कि कर्नाटक ने 10,000 क्यूसेक भी नहीं छोड़ा है।

क्यो भड़का कावेरी विवाद?

कम शब्दों में समझें तो तमिलनाडु ने कर्नाटक से 24,000 क्यूसेक पानी छोड़ने की मांग की थी, जिस पर कर्नाटक का कहना था कि वह पीने के पानी और सिंचाई की अपनी जरूरतों को ध्यान में रखने के बाद ही तमिलनाडु में नदी का पानी छोड़ सकेगा। इसी बात को लेकर दोनों राज्यों के बीच तनातनी है। 

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