कावेरी नदी का पानी तमिलनाडु को दिए जाने के विरोध में शुक्रवार को कर्नाटक बंद का ऐलान किया गया। कर्नाटक में गठबंधन के बाद पहली बार जेडीएस ने बीजेपी के साथ मिलकर कावेरी जल विवाद पर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इस बीच, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने शुक्रवार को मांग की कि राज्य सरकार कावेरी जल छोड़े जाने के विरोध में आहूत बंद के मद्देनजर हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं को रिहा करे।
बंद पर क्या बोले कुमारस्वामी?
कन्नड़ और किसान समूहों के मूल संगठन 'कन्नड़ ओक्कूटा' ने पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के लिए जल छोड़े जाने के विरोध में शुक्रवार को बंद का आह्वान किया है। राज्य के दक्षिणी हिस्सों में किसानों और कन्नड़ समर्थक संगठनों द्वारा आहूत बंद के बीच, जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने कहा कि 'कन्नड़ परिवार' की एकता पड़ोसी राज्य के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। उन्होंने 'एक्स' पर लिखा कि कावेरी संघर्ष के लिए पूरा कर्नाटक एकजुट है और आज के बंद को हर क्षेत्र की अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
12 घंटे का बंद बुलाया गया है
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भूमि, भाषा एवं पानी का सवाल आता है, तो सभी को एकजुट होना चाहिए और कन्नड़ परिवार के बीच यह सद्भाव एवं एकता पड़ोसी राज्यों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को कन्नड़ समुदाय की भावनाओं का दमन नहीं करना चाहिए। जिन कार्यकर्ताओं को पहले ही हिरासत में लिया गया है, उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। बता दें कि कन्नड़ और किसान संगठनों के प्रमुख कन्नड़ ओक्कूटा संघ ने सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 12 घंटे का बंद बुलाया है।
कावेरी नदी से जुड़ा विवाद
गौरतलब है कि कावेरी वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी (CWMA) ने 13 सितंबर को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया कि कर्नाटक अगले 15 दिन तक तमिलनाडु को कावेरी नदी से 5 हजार क्यूसेक पानी दे। कर्नाटक के किसान संगठन, कन्नड़ संस्थाएं और विपक्षी पार्टियां इसी फैसले का विरोध कर रही हैं। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी से जुड़ा यह विवाद 140 साल पुराना है।
- PTI इनपुट के साथ