Haryana News: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को गुरुग्राम में हुई बैठक में सरकारी नौकरी के लिए एक व्यक्ति द्वारा धोखाधड़ी करने का मामला सामने आने पर दो अधिकारियों को निलंबित करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री रविवार को गुरुग्राम के स्वतंत्रता सेनानी जिला परिषद सभागार में जिला जनसंपर्क और शिकायत निस्तारण समिति की मासिक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। खट्टर ने मामले को दीवानी मानने के लिए सोहना सदर थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी और गुरुग्राम पुलिस आयुक्तालय में तैनात उप जिला अधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
आरोपी व्यक्ति का धोखाधड़ी का इतिहास
केंद्र में ग्रुप-डी की नौकरी के लिए रिश्वत लेने के मामले पर कड़ाई से संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ हमने राज्य में ऐसी प्रणाली स्थापित की है जिसमें कोई भी व्यक्ति रिश्वत देकर नौकरी नहीं हासिल कर सकता है। हमारी सरकार लोगों को भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने की दिशा में काम कर रही है।’’ उन्होंने कहा कि इस मामले में आरोपी व्यक्ति का पूर्व में धोखाधड़ी करने का इतिहास है, इसलिए पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी। गौरतलब है कि सोहना के निवासी ने आरोप लगाया है कि उसने आरोपी को 3.50 लाख रुपये का भुगतान किया है। सोहना पुलिस थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी ने इस मामले से निपटने में लापरवाही दिखाई और कहा कि यह मामला रुपयों के आपस में लेनदेन का है, शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच लेनदेन का सबूत नहीं है।
'शिकायत पर संज्ञान लेने में लापरवाही'
गुरुग्राम पुलिस आयुक्तालय में तैनात उप जिला अधिवक्ता ने इसे प्रथमदृष्टया दोनों पक्षों के बीच दीवानी मामला माना। गुरुग्राम पुलिस ने बाद में आधिकारिक बयान में कहा कि यह पाया गया है कि उपनिरीक्षक सतिंदर ने सोहना निवासी अनिल सिंह की शिकायत पर संज्ञान लेने में लापरवाही की है। बयान में कहा गया कि इसलिए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर गुरुग्राम पुलिस लाइन स्थानांतरित किया जाता है, और सोहना सदर पुलिस थाना क्षेत्र में पीएम कार्यालय में नौकरी दिलाने के मामले में संलिप्त तीन आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा रही है।