Highlights
- चंडीगढ़ को पंजाब हस्तांतरित करने का प्रस्ताव
- हरियाणा के सीएम खट्टर ने बताया निंदनीय
- राजीव-लोंगोवाल समझौता की दिलाई याद
चंडीगढ़: हरियाणा और पंजाब की साझा राजधानी चंडीगढ़ को पंजाब हस्तांतरित करने की पंजाब सरकार की मांग को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने निंदनीय बताया है। खट्टर ने कहा कि उन्हें (पंजाब सरकार) ऐसा नहीं करना चाहिए था। हरियाणा सीएम ने कहा कि राजीव-लोंगोवाल समझौता 35-36 साल पहले हुआ था, जिसके अनुसार यह हरियाणा और पंजाब दोनों की राजधानी है।
खट्टर ने कहा कि इससे जुड़े कई मुद्दे हैं। अगर वे ऐसा कुछ करना चाहते हैं, तो उन्हें पहले सतलुज यमुना लिंक मुद्दे को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। साथ ही हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को नहीं दिए गए, जिससे बाकी मुद्दों में देरी हुई। खट्टर ने आगे कहा कि उन्हें ये कहना चाहिए कि वे हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को देने के लिए तैयार हैं।
इतना ही नहीं इस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अरविंद केजरीवाल को भी निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल को इस फैसले निंदा करनी चाहिए और हरियाणा के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। पंजाब के सीएम को भी हरियाणा के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। खट्टर ने कहा कि उन्होंने जो भी किया है वह निंदनीय है।
क्या है राजीव-लोंगोवाल समझौता?
दरअसल, 1 नवंबर 1966 को पंजाब पुनर्गठन एक्ट पास किया गया। इस एक्ट के पारित होने के बाद पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ अस्तित्व में आए। पंजाब पुनर्गठन एक्ट के करीब 20 साल बाद 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता हुआ। इस समझौते के तहत चंडीगढ़ पंजाब को सौंपने की लगभग पूरी तैयारी की जा चुकी थी। लेकिन ठीक वक्त पर राजीव गांधी ने इस समझौते से हाथ पीछे खींच लिए। बताया जाता है कि साल 1970 में केंद्र सरकार ने हरियाणा को 5 साल में अपनी राजधानी बनाने को कहा था, जिसके लिए राज्य को 10 करोड़ रुपये की मदद भी दी गई थी। लेकिन राजधानी नहीं बन सकी। यही कारण है कि पंजाब और हरियाणा में चंडीगढ़ को लेकर लगातार खींचतान जारी है।