Highlights
- हरिद्वार 'धर्म संसद' में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में धर्मगुरु यति नरसिंहानंद गिरफ्तार
- हरिद्वार हेट स्पीच मामले में हुई दूसरी गिरफ्तारी
उत्तराखंड: हरिद्वार 'धर्म संसद' में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में शनिवार को धर्मगुरु यति नरसिंहानंद गिरफ़्तार कर लिया गया है। वसीम रिजवी के बाद इस मामले में यह दूसरी गिरफ़्तारी है। उत्तराखंड हरिद्वार के CO सिटी शेखर सुयाल ने बताया कि धर्मगुरु यति नरसिंहानंद को गिरफ़्तार किया गया है। उनके ख़िलाफ़ 2-3 मुकदमें चल रहे थे। महिलाओं के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणी को लेकर उन्हें गिरफ़्तार किया गया है।
उत्तराखंड पुलिस ने धर्मगुरु यति नरसिंहानंद को गिरफ्तार करने के बाद फिलहाल उनसे पूछताछ कर रही है। 'धर्म संसद' में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में FIR में 10 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसमें नरसिंहानंद, जितेंद्र त्यागी और अन्नपूर्णा का नाम शामिल है। इससे पहले पुलिस ने हेट स्पीच मामले में जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को गिरफ्तार किया था। कुछ दिन पहले स्थानीय निवासी की तहरीर पर हेट स्पीच मामले में हरिद्वार कोतवाली पुलिस ने 153A के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
मालूम हो कि, यति नरसिंहानंद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर के पुजारी हैं। वह अपने बयानों को लेकर पहले भी विवादों में रहे हैं। यति नरसिंहानंद ने हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन किया था। ‘धर्म संसद’ 17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में आयोजित हुई थी। हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ में कई वक्ताओं ने नफरती भाषण दिए थे। इन भड़काऊ भाषणों को लेकर सोशल मीडिया पर खूब वीडियो वायरल हुए थे, जिसके बाद हरिद्वार पुलिस ने केस दर्ज किया था।
पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बीते बुधवार को सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ता ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरती भाषणों की घटनाओं की एक एसआईटी द्वारा ‘स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच' कराने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया था। गौरतलब है कि उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में हिंदु साधुओं और अन्य नेताओं ने कथित तौर पर मुस्लिमों के खिलाफ हथियार उठाने और उनके कत्लेआम का आह्वान किया था।
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बीते बुधवार को इस मामले में उतराखंड सरकार को नोटिस जारी कर 10 दिन में जवाब मांगा था। कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता कुर्बान अली को छूट दी थी कि वह 23 जनवरी को अलीगढ़ में होने वाली धर्म संसद को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन के पास जा सकते हैं।