Highlights
- सर्वे में बाधा डालने वालों पर कार्रवाई की जाएगी
- ताले तुड़वाकर दोबारा सर्वे और वीडियोग्राफी के आदेश
- अदालत ने मुस्लिम पक्ष की दलील को खारिज किया
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे मामले में बड़ी खबर आई है। इस मामले में कोर्ट ने गुरुवार दोपहर एक अहम फैसला सुनाया। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद का दोबारा सर्वे कराया जाए। कोर्ट के निर्देश के अनुसर कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा नहीं बदले जाएंगे। उनके साथ दो और कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाएंगे। इससे यह साफ है कि कोर्ट कमिश्नर को नहीं हटाया जाएगा। कोर्ट कमिश्नर को लेकर मुस्लिम पक्ष का जो ऐतराज था।इस संबंध में वकीलों ने बताया कि जहां जहां बेरिकेडिंग हैं वहां वीडियोग्राफी कराई जाएगी। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को खारिज किया है।
17 मई तक सर्वे कराकर कोर्ट में रिपोर्ट देना होगी
वकीलों ने बताया कि रिपोर्ट 17 मई तक देना होगा। इस दौरान जो भी सर्वे का विरोध करता है, तो उस पर कार्रवाई होगी। मस्जिद के संपूर्ण भाग पर सर्वे होगा। वकीलों ने बताया कि जिला अधिकारी को स्पष्ट आदेश दिया है कोर्ट ने कि ताले खुलाकर सर्वे कराएं। सर्वे के दौरान कोई बाहरी व्यक्ति कोई शामिल नहीं रहेगा।
राखी सिंह और अन्य ने दायर किया था वाद
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता गौर ने दावा किया कि कोर्ट द्वारा बीते 26 अप्रैल को वीडियोग्राफी सर्वे के लिए जारी आदेश में बैरिकेडिंग के अंदर जाकर वीडियोग्राफी कराने की बात भी शामिल है, लेकिन चूंकि मुस्लिम पक्ष इसे लेकर कंफ्यूजन में है, इसलिए कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह फैसले के वक्त इस पर भी स्थिति स्पष्ट करे। बता दें कि विश्व वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेन्द्र सिंह बिसेन के नेतृत्व में राखी सिंह तथा अन्य ने अगस्त 2021 में अदालत में एक वाद दायर कर शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा की मांग की थी।
6 मई को शुरू हुआ था सर्वे का काम
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद गत 26 अप्रैल को अजय कुमार मिश्रा को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे करके 10 मई को अपनी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। मिश्रा ने वीडियोग्राफी और सर्वे के लिए 6 मई का दिन तय किया था। बीते 6 मई को सर्वे का काम शुरू हुआ था। मुस्लिम पक्ष ने बिना आदेश के ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी कराने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए अदालत द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर पर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाया था और उन्हें बदलने की अदालत में अर्जी दी थी।