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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, 21 जुलाई को होगी सुनवाई, की गई ये मांग

Gyanvapi Case: कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि इससे उसकी ऐतिहासिकता और प्रमाणिकता साबित हो सकेगी। 7 हिंदू महिलाओं की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि इसका ग्राउंड पेनिट्रेशन राडार सर्वे भी होना चाहिए।

Written By: Sudhanshu Gaur
Published : Jul 18, 2022 12:45 IST, Updated : Jul 18, 2022 12:45 IST
Gyanvapi Masjid
Image Source : FILE Gyanvapi Masjid

Highlights

  • याचिका में की गई है शिवलिंग की कार्बन डेंटिंग की मांग
  • याचिका में मांगा गया है पूजा का अधिकार
  • सुप्रीम कोर्ट में सात लोगों ने दाखिल की है याचिका

Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर स्थानीय जिला न्यायालय में सुनवाई चल ही रही है। इसके अलावा इसी से  एक और मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई, जिसे कोर्ट 21 जुलाई को सुनेगा।सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके मस्जिद में पाए गए 'शिवलिंग' की ASI से कार्बन डेटिंग कराये जाने की मांग की गई है। इसके साथ ही याचिका में शिवलिंग की पूजा करने देने को लेकर भी मांग की गई है।

हिंदू महिलाओं ने दाखिल की है याचिका 

कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि इससे उसकी ऐतिहासिकता और प्रमाणिकता साबित हो सकेगी। 7 हिंदू महिलाओं की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि इसका ग्राउंड पेनिट्रेशन राडार सर्वे भी होना चाहिए। इस मामले की सुनवाई करते हुए पहले सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ज्ञानवापी में जहां से 'शिवलिंग' पाया गया है, उसकी सुरक्षा की जाए। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने मुस्लिम पक्ष को आदेश दिया था कि वह अगले आदेश तक किसी और स्थान पर वजू करे। 

वहां स्थित शिवलिंग की कालगणना नहीं की जा सकती 

एडवोकेट विष्णु जैन के जरिए महिलाओं ने याचिका दायर कर मांग की है कि वह श्री काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को आदेश दे कि वह ज्ञानवापी में मिले 'शिवलिंग' को ले ले। इसके अलावा पुराने मंदिर से सटी जमीन पर भी कब्जा ले। याचिका में कहा गया है कि वहां विराजमान शिवलिंग की कालगणना नहीं की जा सकती। उसके परिधि में आने वाली 5 कोस भूमि पर मंदिर का अधिकार है। याचिका दायर करने वाली महिलाओं में से एक एडवोकेट है, एक प्रोफेसर है और 5 सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। उन्होंने अपनी अर्जी में कहा कि ज्ञानवापी में मिले 'शिवलिंग' की ऐतिहासिकता का पता सिर्फ जीपीआर सर्वे और कार्बन डेटिंग से ही लगाया जा सकता है। 

मंदिर में दें पूजा का अधिकार 

याचिका में कहा गया है कि पुराने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर उसे मस्जिद का स्वरूप दिया गया था। वह वक्फ की जमीन नहीं है। अर्जी में महिलाओं ने कहा कि ज्ञानवापी में मिला 'शिवलिंग' स्वयंभू यानी स्वयं अवतरित हैं, जबकि नए मंदिर परिसर में स्थापित शिवलिंग रानी अहिल्या बाई होलकर के दौर का है। यही नहीं उनका कहना है कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ऐक्ट, 1983 के तहत नए मंदिर परिसर के अलावा पुराने मंदिर का क्षेत्र भी आता है। इसका अर्थ यह है कि श्रद्धालु मुख्य परिसर में पूजा अर्चना करने के अलावा आसपास के मंदिरों, स्थापित प्रतिमाओं की भी पूजा कर सकते हैं। 

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