Friday, November 22, 2024
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जांच के नाम पर मकानों पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान कानून के तहत उपलब्ध नहीं: अदालत

गुवाहाटी हाई कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि भले ही कोई एजेंसी किसी बेहद गंभीर मामले की ही जांच क्यों न कर रही हो, किसी के मकान पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान किसी भी आपराधिक कानून में नहीं है।

Reported By : PTI Edited By : Akash Mishra Published on: November 19, 2022 15:06 IST
गुवाहाटी हाई कोर्ट(फाइल फोटो)- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO गुवाहाटी हाई कोर्ट(फाइल फोटो)

गुवाहाटी हाई कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि भले ही कोई एजेंसी किसी बेहद गंभीर मामले की ही जांच क्यों न कर रही हो, किसी के मकान पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान किसी भी आपराधिक कानून में नहीं है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर एम छाया ने असम के नगांव जिले में आगजनी की एक घटना के आरोपी के मकान को गिराए जाने के संबंध में उच्च न्यायालय के स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

कम से कम छह लोगों के मकानों को कर दिया था ध्वस्त

दरअसल, स्थानीय मछली व्यापारी सफीकुल इस्लाम (39) की कथित रूप से हिरासत में मौत के बाद भीड़ ने 21 मई को बटाद्रवा थाने में आग लगा दी थी। जानकारी के मुताबिक इस्लाम को एक रात पहले ही पुलिस लेकर गई थी। इसके एक दिन बाद जिला प्राधिकारियों ने इस्लाम सहित कम से कम छह लोगों के मकानों को उनके नीचे कथित तौर पर छिपाए गए हथियारों और नशीले पदार्थों की तलाश के लिए ध्वस्त कर दिया था और इसके लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया था।

'किसी मकान पर बुलडोजर चलाने का कोई प्रावधान कानून में नहीं है'

न्यायमूर्ति छाया ने कहा, ‘‘एजेंसी भले ही किसी गंभीर मामले की जांच क्यों न कर रही हो, किसी मकान पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान किसी आपराधिक कानून में नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि किसी के घर की तलाशी लेने के लिए भी अनुमति की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘कल अगर आपको कुछ चाहिए होगा, तो आप मेरे अदालत कक्ष को ही खोद देंगे।’’ मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर जांच के नाम पर किसी के घर को गिराने की अनुमति दे दी जाती है तो कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा।

जज ने कहा, ‘‘हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हैं।’’ न्यायमूर्ति छाया ने कहा कि मकानों पर इस तरह से बुलडोजर चलाने की घटनाएं फिल्मों में होती हैं और उनमें भी, इससे पहले तलाशी वारंट दिखाया जाता है। इस मामले पर अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी। 

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