हाल ही में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव संपन्न हुए। इस चुनाव में भले ही किसी पार्टी की जीत हुई तो किसी की हार या बुरी हार। लेकिन इसके बावजूद इन चुनावों के परिणामों ने कहीं न कहीं बीजेपी, कांग्रेस और यहां तक की आम आदमी पार्टी तीनों को खुश होने का मौका दिया है। दरअसल, गुरुवार को हुई मतगणना में जहां गुजरात में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया, वहीं कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में जीत का परचम लहराया। वहीं आम आदमी पार्टी इस चुनाव के साथ ही राष्ट्रीय पार्टी भी बन गई है।
गुजरात में बीजेपी ने हासिल की रिकॉर्ड तोड़ जीत
भारतीय जनता पार्टी ने भले ही गुजरात में अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ते हुए जोरदार जीत हासिल कर सत्ता में वापसी की है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा है। हिमाचल में कांग्रेस ने 40 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं बीजेपी को केवल 25 सीटें से संतोष रहना पड़ा। फिर भी विधानसभा नतीजों को लेकर बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों ही पार्टियों के नेता और कार्यकर्ता सोशल मीडिया में पार्टी के पक्ष में पोस्ट शेयर कर रहे हैं।
हालांकि बीजेपी को खुशी मिली गुजरात में मिली ऐतिहासिक और एकतरफा जीत से। भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को गुजरात में शानदार जीत दर्ज करते हुए लगातार 7वीं बार सत्ता में वापसी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे के दम पर बीजेपी ने गुजरात में अब तक का सबसे बड़ा बहुमत हासिल किया। बीजेपी ने चुनाव में 182 में से 156 सीटें जीत ली हैं, जबकि कांग्रेस को 17 और AAP को सिर्फ 5 सीटों से संतोष करना पड़ा।
आम आदमी को मिली राष्ट्रीय पार्टी बनने की खुशी
इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को गुजरात में सिर्फ 5 सीटें ही मिल पाईं। वहीं हिमाचल प्रदेश में तो उसका खाता तक नहीं खुल पाया। इसके बावजूद 'आप' पार्टी में खुशी की लहर है। यह खुशी खुद पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर नजर आई, जब गुरुवार शाम उन्होंने संबोधित किया। दरअसल, आम आदमी पार्टी अपनी स्थापना के बाद सबसे जल्दी राष्ट्रीय पार्टी बनने वाली भारत की पहली राजनीतिक पार्टी बनी।
कांग्रेस को पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश का साथ
गुजरात चुनाव के परिणाम में कांग्रेस की जितनी बुरी दुर्गति हुई, उतनी पहले कभी नहीं हुई। गुजरात इलेक्शन में सिर्फ 17 सीटों पर ही कांग्रेस को जीत मिल पाई। फिर भी कांग्रेस इस बात से खुश है कि पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की सत्ता कांग्रेस के पास आ गई। हिमाचल प्रदेश की जनता ने एक बार फिर हर चुनाव में पार्टी बदलने के नियम को बरकरार रखा। कांग्रेस ने कोई बहुत ज्यादा जोर नहीं लगाया था हिमाचल प्रदेश में, लेकिन एंटीइन्कंबेंसी का लाभ कांग्रेस को मिल गया।