Highlights
- देश के 13 राज्यों में खड़ा हो सकता है भूमिगत जल का संकट
- भारत में अमेरिका और चीन से ज्यादा पानी की खपत
- जल संरक्षण के लिए भारत को भू-जल दोहन रोकना जरूरी
Ground Water Crisis: भारत में पिछले कई दशकों से लगातार वर्षा में गिरावट दर्ज की जा रही है। इससे भूमिगत जल का स्तर भी घटता जा रहा है। जबकि देश में पानी की खपत बहुत अधिक है। अंतरराष्ट्रीय सर्वे रिपोर्टों के मुताबिक चीन और अमेरिका मिलकर जितने पानी का इस्तेमाल करते हैं। भारत उससे काफी अधिक मात्रा में पानी अकेले खर्च करता है। हालांकि भारत में दुनिया की 18 फीसद आबादी भी निवास करती है। जल की खपत अधिक होने की यह भी प्रमुख वजह है। इसके अलावा पिछले करीब 82 वर्षों से मानसून का मंद रहना भी भूमिगत जल में गिरावट होने की मुख्य वजह है। आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान 10 फीसद से अधिक वर्षा जल में कमी आई है। जो कि जल संकट बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।
मानसून में अच्छी बारिश नहीं होने के दौरान भी भारत के अधिकांश राज्य प्रतिवर्ष सूखे की चपेट में होते हैं। लिहाजा मजबूरन खेती-किसानी के लिए उन्हें भूमिगत जल का इस्तेमाल करना पड़ता है। इससे भू-जल दोहन लगातार बढ़ रहा है। इस वर्ष भी मौसम विभाग के अनुमान की तुलना में बारिश का स्तर नगण्य रहा है। कोलकाता में तो 61 दिनों तक लगातार बारिश नहीं हुई। इसके अलावा यूपी, दिल्ली, राजस्थान जैसे राज्य भी सूखे की चपेट में हैं। ऐसे में भूमिगत जलस्तर का गिरना कोई आश्यर्च की बात नहीं है। मगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब देश के कई राज्यों में भूमिगत जल पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
सबसे ज्यादा इन राज्यों में खतराः भारत में भू-जल की खपत करीब 63 फीसद है। जितना भी बारिश का पानी जमीन में अंदर जाता है, उसका 63 फीसद पीने और सिंचाई जैसे कार्यों के लिए निकाल लिया जाता है। वर्ष 2021 में आई कैग की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में 100 फीसद भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। इसलिए इन राज्यों में भूमिगत पूरी तरह खत्म हो जाने का खतरा है। इससे पहले चेन्नई में भूमिगत जल पूरी तरह खत्म हो चुका है। महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में भी भूमिगत जल की खपत ज्यादा है। इस प्रकार देश के 13 राज्यों में जल का भारी संकट पैदा होने की आशंका है।
वर्ष 2025 तक उत्तर-पश्चिम और दक्षिण भारत में होगी पानी की भारी किल्लत
वर्ष 2021 में साइंस एडवांस में प्रकाशित स्टडी में दावा किया गया था कि 2025 तक उत्तर-पश्चिम और दक्षिण भारत में पानी की भारी किल्लत हो सकती है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार
50 फीसद से भी कम भारतीय स्वच्छ पेयजल पाते हैं। क्योंकि यहां के भूमिगत जल में फ्लोराइड की मात्रा काफी ज्यादा है। सरकार के एक सर्वे में देश के 25 राज्यों के 209 जनपदों के भूमिगत जल में आर्सेनिक की मात्रा अधिक पाई गई है। यह हृदय और फेफड़े के रोग को बढ़ाता है। द लसेंट पत्रिका के अनुसार अकेले 2019 में भारत में दूषित पानी पीने से पांच लाख से अधिक लोगों की जान गई थी। जबकि लाखों लोग बीमार पड़े थे। ऐसे में अब सरकार हर घर स्वच्छ पेयजल नल योजना पर साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा खर्च करने का प्लान तैयार किया है।