केंद्र सरकार ने गुरुवार को 156 फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (FDC) दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। इनमें एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक और मल्टीविटामिन दवाएं शामिल हैं। जांच में पाया गया कि ये दवाएं स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करती हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर इन दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।
विशेषज्ञों की सलाह के बाद लिया गया निर्णय
प्रतिबंधित एफडीसी दवाओं में एंटीबायोटिक्स, एंटी-एलर्जिक्स, दर्द निवारक, मल्टीविटामिन और बुखार व हाई ब्लड प्रेशर के लिए दवाएं शामिल हैं। नोटिस में कहा गया कि ये निर्णय औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (DTAB) और केंद्र सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के बाद लिया गया है।
दवाओं में डाले गए केमिकल का कोई मेडिकल औचित्य नहीं
इस मामले की जांच केंद्र सरकार और डीटीएबी द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई। इसमें दोनों निकायों ने सिफारिश की कि एफडीसी में डाले गए केमिकल का कोई मेडिकल औचित्य नहीं है।
मेफेनामिक एसिड और पैरासिटामोल इंजेक्शन भी शामिल
लिस्ट में प्रमुख एफडीसी दवाओं में मेफेनामिक एसिड भी शामिल हैं। इन दवाओं का उपयोग विभिन्न स्थितियों में दर्द और सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। ओमेप्राज़ोल मैग्नीशियम और डायसाइक्लोमाइन एचसीएल की खुराक, इसका उपयोग पेट दर्द के इलाज के लिए किया जाता है।
फैटी लीवर के इलाज वाली दवा भी प्रतिबंधित
अन्य एफडीसी में उर्सोडिऑक्सीकोलिक एसिड और मेटफॉर्मिन एचसीएल का संयोजन शामिल है। इसका उपयोग मधुमेह से पीड़ित लोगों में फैटी लीवर के इलाज के लिए किया जाता है। साथ ही पोविडोन आयोडीन, मेट्रोनिडाजोल और एलो की खुराक का उपयोग त्वचा संक्रमण की रोकथाम और उपचार के लिए किया जाता है।
इन दवाओं को भी किया गया बंद
उर्सोडिऑक्सीकोलिक एसिड और मेटफॉर्मिन एचसीएल एफडीसी के प्रमुख ब्रांडों में एरिस लाइफसाइंसेज द्वारा निर्मित हेपेक्सा एम टैबलेट शामिल हैं। मैक्सुन बायोटेक का मैकडिन एएम ऑइंटमेंट और मेडक्योर फार्मा का पोविओल एम ऑइंटमेंट पोविडोन आयोडीन, मेट्रोनिडाजोल और एलो की संयुक्त खुराक के सामान्य रूप से उपलब्ध उदाहरण हैं।
डीटीएबी ने इन दवाओं के दावों को सही नहीं पाया
मंत्रालय ने कहा कि इन एफडीसी के उपयोग से लोगों को बड़ी संख्या में खतरा होने की संभावना है, जबकि दवा के सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हैं। नोटिस में कहा गया कि डीटीएबी ने इन दवाओं के दावों को सही नहीं पाया और यह निर्णय लिया कि इनसे मरीज को होने वाला नुकसान लाभ से अधिक है। इसके साथ ही मंत्रालय ने कहा कि इसलिए सार्वजनिक हित में औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा 26ए के तहत इस एफडीसी के निर्माण, बिक्री या वितरण पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक हो गया है।