Highlights
- वकीलों के लिए खुशखबरी
- सुप्रीम कोर्ट ने की बार काउंसिल के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और फीस पर अपनी टिप्पणी
- पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बार काउंसिल का सदस्य बनने के लिए राज्य बार काउंसिल के अलग-अलग फीस ढांचे के मुद्दे का उल्लेख किया और सवाल किया कि क्या रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में एकरूपता लाने के संबंध में विचार किया जा सकता है। जस्टिस एस के कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस ए एस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जे के माहेश्वरी की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस सवाल पर विचार कर रही है कि क्या अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा एक रजिस्ट्रेशन पूर्व परीक्षा निर्धारित की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विभिन्न राज्य बार काउंसिल एक समान नियम का पालन नहीं करते और उदाहरण के लिए, उनके इसको लेकर अपने मानदंड हैं, कि कोई बार काउंसिल का सदस्य कैसे बनता है। जस्टिस कौल ने कहा, ‘‘मुझे बताया गया है कि अलग-अलग फीस संरचनाएं और अलग-अलग मानदंड हैं। कुछ जगहों पर, बार काउंसिल का सदस्य बनने के लिए निर्धारित फीस संरचना 15,000 रुपये से 20,000 रुपये तक है। कानून के कुछ ग्रैजुएट युवा इस पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।’’ न्याय मित्र के रूप में अदालत की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के वी विश्वनाथन ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण पहलू है।
पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया
पीठ ने मामले में दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि दिल्ली में रजिस्ट्रेशन के लिए ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले किसी व्यक्ति को बार काउंसिल का सदस्य बनने के लिए 20,000 रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं। पीठ ने पूछा कि क्या रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में कुछ एकरूपता हो सकती है। पीठ ने कहा, ‘‘क्या एक प्रक्रिया पर विचार किया जा सकता है? क्या इसमें कुछ एकरूपता हो सकती है?’’ वरिष्ठता के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि अलग-अलग बार काउंसिल के अलग-अलग नियम हैं, लेकिन वरिष्ठता रजिस्ट्रेशन की तारीख के अनुसार तय की जाती है।
वरिष्ठता कैसे तय होती है
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि यदि दो अधिवक्ताओं के रजिस्ट्रेशन की तारीख समान है तो उनकी डेट ऑफ बर्थ वरिष्ठता तय करती है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि क्या देश में वकीलों की आवश्यक संख्या को लेकर कोई अध्ययन किया गया है। मार्च 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निर्धारण के लिए उठाए गए प्रश्नों में से एक यह है कि क्या बीसीआई बार में वकालत जारी रखने के लिए पात्रता की शर्त के रूप में किसी वकील के रजिस्ट्रेशन के बाद एक परीक्षा निर्धारित करने के लिए सक्षम है।