गुजरात के गोधरा को कभी महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता था। महात्मा गांधी को इसी शहर से चरखा मिला था। हालांकि, वक्त के साथ इस शहर की पहचान धूमिल हो गई। 2002 के बाद से इस शहर की पहचान गोधरा कांड और गुजरात दंगों से की जाती है। यह शहर पर एक ऐसा धब्बा है, जो शायद ही कभी मिट पाए। घटना को आज 21 साल गुजर चुके हैं, लेकिन गोधरा कांड और गुजरात दंगों में प्रभावित लोगों के जख्म आज तक नहीं भर पाए हैं।
अयोध्या से लौट रहे 59 लोगों की हो गई थी मौत
दरअसल, 21 साल पहले 2002 में आज ही के दिन गोधरा कांड हुआ था। इसके बाद 27 फरवरी का दिन एक दुखद घटना के साथ इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। आज ही के दिन गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन आग के हवाले कर दी गई थी। गुजरात के गोधरा स्टेशन से रवाना हो रही साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी में उन्मादी भीड़ ने आग लगा दी थी। इस घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए।
ट्रेन के एक डिब्बे को आग के हवाले कर दिया
साबरमती एक्सप्रेस से हिंदू तीर्थयात्री अयोध्या से वापस लौट रहे थे। 27 फरवरी 2002 को ट्रेन गुजरात के पंचमहल जिले में पड़ने वाले गोधरा स्टेशन पहुंची। ट्रेन जैसे ही रवाना होने लगी थी कि किसी ने चेन खींचकर गाड़ी रोकी और फिर पथराव के बाद ट्रेन के एक डिब्बे को आग के हवाले कर दिया गया। S-6 कोच में अग्निकांड की घटना में 59 लोगों की मौत हो गई थी।
गोधरा कांड के बाद गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा
गोधरा की घटना में 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस घटना के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़की और जानमाल का भारी नुकसान हुआ। हालात इस कदर गंभीर हो गए थे कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जनता से शांति की अपील करनी पड़ी थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दंगों में 1200 लोगों की मौत हुई थी।