Friday, November 22, 2024
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नवरात्रि पर आई खुशखबरी! LoC के पास आज प्रतिष्ठापित होगी शारदा मां की मूर्ति; पाकिस्तान में गूंजेगा माता का जयकारा

देश के विभाजन से पहले टीटवाल देवी शारदा के मंदिर का ऐतिहासिक बेस कैंप था। कृष्णगंगा नदी के तट पर स्थित मूल मंदिर और एक निकटवर्ती गुरुद्वारा, 1947 में आदिवासी हमलावरों द्वारा नष्ट कर दिया गया था।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: March 22, 2023 11:39 IST
shardapeeth temple- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL MEDIA शारदा मां का मंदिर

श्रीनगर: जम्मू एवं कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आज पवित्र चैत्र नवरात्रि के मौके पर नियंत्रण रेखा (LoC) के पास देवी शारदा की एक मूर्ति स्थापित की जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करने की उम्मीद है। 76 साल बाद कुपवाड़ा के टीटवाल इलाके में देवी के लिए एक मंदिर का निर्माण किया गया है और देवी की मूर्ति कर्नाटक के शिंगेरी मठ से लाई गई है। मूर्ति की स्थापना कश्मीरी हिंदू नव वर्ष के पहले दिन 'नवरेह' पर की जा रही है।

75 साल बाद बनकर तैयार हुआ मंदिर

बता दें कि यह लगभग 5000 साल से ज्यादा पुराना मंदिर है। देश के विभाजन से पहले टीटवाल देवी शारदा के मंदिर का ऐतिहासिक बेस कैंप था। कृष्णगंगा नदी के तट पर स्थित मूल मंदिर और एक निकटवर्ती गुरुद्वारा, 1947 में आदिवासी हमलावरों द्वारा नष्ट कर दिया गया था। विभाजन के बाद पाकिस्तानी कबाइली हमले के बाद यह मंदिर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका था। अब 75 साल बाद यह मंदिर बन कर तैयार हो गया है। इसे श्रद्धालुओं के लिए चैत्र नवरात्रि के पहले दिन खोला जाएगा। नब्बे के दशक में जिन कश्मीरी पंडितों को जम्मू-कश्मीर से अत्याचार करने के बाद भागने को मजबूर किया गया, यह मंदिर उन्हीं कश्मीरी पंडितों के लिए एक आस्था का प्रतीक है।

मुसलमानों ने सौंपी जमीन, मंदिर भी बनाया
देवी की मूर्ति की स्थापना और टीटवाल में मंदिर के निर्माण का स्थानीय मुसलमानों द्वारा व्यापक रूप से स्वागत किया गया है। वो मानते हैं कि इससे इस क्षेत्र को अपनी खोई हुई गरिमा और तीर्थ के पवित्र स्थान के रूप में मान्यता मिलेगी। इस मंदिर को स्थानीय लोकल मुसलमानों ने बनाकर तैयार किया है। मंदिर निर्माण कंस्ट्रक्शन कमिटी में 3 लोकल मुस्लिम एजाज खान, रिटायर्ड कैप्टन इलियास, इफ्तिखार, एक सिख जोगिंदर सिंह और पांच कश्मीरी पंडित हैं। चूंकि बंटवारे से पहले अभिलेखों में यह हिंदू मंदिर लैंड दर्ज थी, इसलिए मुसलमानों ने मंदिर के लिए यह जमीन सौंपी थी। मंदिर के काम में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये लगे हैं।

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कर्नाटक के शिंगेरी मठ के 100 पुजारी समारोह में होंगे शामिल
शारदा पीठ शिक्षा का एक प्राचीन केंद्र था, जहां न केवल भारत बल्कि मध्य एशिया से भी विद्वान आते थे। 6ठी और 12वीं शताब्दी के बीच, शारदा पीठ उपमहाद्वीप के सबसे प्रमुख मंदिर विश्वविद्यालयों में से एक था। बुधवार को ऐतिहासिक धार्मिक समारोह का हिस्सा बनने के लिए टीटवाल में इकट्ठा हुए सैकड़ों भक्तों और विद्वानों में कर्नाटक के शिंगेरी मठ के लगभग 100 पुजारी हैं।

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