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ग्लेशियर झीलों के फटने से आ सकती है बड़ी तबाही, भारत में 30 लाख आबादी पर मंडराया खतरा

ग्लेशियर झीलों के फटने से एक बड़ी तबाही सामने आ सकती है। एक अध्ययन के मुताबिक ग्लेशियर झीलों के चलते देश की 30 लाख और दुनिया भर में 1.5 करोड़ लोगों का जीवन खतरे में है।

Edited By: Niraj Kumar
Published : Feb 09, 2023 10:38 IST, Updated : Feb 09, 2023 10:57 IST
ग्लेशियर
Image Source : एपी ग्लेशियर

नयी दिल्ली : एक स्टडी के मुताबिक ग्लेशियर झीलों के फटने से देश-दुनिया की एक बड़ी आबादी का जीवन संकट में पड़ सकता है। नेचर कम्यूनिकेशन पत्रिका में इस स्टडी के मुताबिक ग्लेशियर झीलों के चलते देश की 30 लाख और दुनिया भर में 1.5 करोड़ लोगों का जीवन में है। दुनियाभर में ग्लेशियर तेजी से पिछल रहे हैं और इनसे निर्मित झील कभी-भी फट सकते हैं। 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन

ब्रिटेन के न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए अध्ययन के मुताबिक ग्लेशियरों के आसपास बसी कुल आबादी में से आधे से ज्यादा सिर्फ चार देशों-भारत, पाकिस्तान, पेरू और चीन में हैं। अध्ययन के मुताबिक जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है ग्लेशियर के टुकड़े पिघलने लगते हैं और झीलों में पानी का स्तर बढ़ जाता है। झीलों में पानी का स्तर बढ़ने से झीलें फट सकती हैं, इनका पानी और मलबा पहाड़ों से तेजी से नीचे एक सैलाब के रूप में आएगा। इससे बाढ़ या फिर सुनामी जैसे हालात की संभावना बढ़ जाती है। 

2022 में ग्लेशियर झील फटने की 16 घटनाएं 

इस स्टडी में हिस्सा लेनेवाले शोधकर्ताओं के मुताबिक 1941 के बाद से अब तक 30 से ज्यादा ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जब ग्लेशियर झील फटने से हजारों लोगों की जानें चली गईं। स्टडी के मुताबिक 2022 में ग्लेशियर झील फटने की 16 घटनाएं सामने आईं। अध्ययन में दुनिया के 2,15,000 जमीन आधारित ग्लेशियर का अध्ययन किया गया है। इनमें ग्रीनलैंड और अंर्टाकटिक में बर्फ की चादर पर बने ग्लेशियर शामिल नहीं हैं। 

वैज्ञानिकों ने विभिन्न स्तर की ताप वृद्धि का इस्तेमाल कर कम्प्यूटर सिमुलेशन के जरिए यह पता लगाया कि कितने ग्लेशियर विलुप्त हो जाएंगे, कितनी टन बर्फ पिघलेगी और इससे समुद्र का स्तर कितना बढ़ेगा। दुनिया अब पूर्व-औद्योगिक युग के बाद से 2.7 डिग्री सेल्सियस ताप वृद्धि की राह पर है जिससे साल 2100 तक दुनिया के 32 प्रतिशत ग्लेशियर विलुप्त हो जाएंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में समुद्र का स्तर ग्लेशियर के मुकाबले बर्फ की चादर पिघलने से ज्यादा बढ़ेगा।

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