Ghulam Nabi Azad: कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने पुरानी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए शनिवार को कहा कि राजनीतिक विरोधियों से मिलने और बातचीत करने से किसी का डीएनए बदल नहीं जाता है। पिछले दिनों आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और पार्टी नेतृत्व खासकर राहुल गांधी पर निशाना साधा था। इस पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा था कि आजाद का रिमोट कंट्रोल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास है और उनका डीएनए 'मोदी-मय' हो गया है।
आजाद ने आज दिल्ली के पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में कहा, "22 राजनीतिक दलों के सांसदों ने (राज्यसभा से मेरी विदाई के समय) भाषण दिया था, लेकिन सिर्फ उसी बात का जिक्र किया गया, जो प्रधानमंत्री ने की थी।" उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा, "अगर आप दूसरे राजनीतिक दलों के लोगों से मिलते हैं और उनसे बात करते हैं, तो इससे आपका डीएनए नहीं बदल जाता है।"
'भारत की मिलीजुली संस्कृति बदल गई'
राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह पंरपरा है कि जब सदन के सदस्यों का कार्यकाल पूरा होता है, तो सभी दलों के नेता इस मौके पर अपनी बात रखते हैं। उनका यह भी कहना था कि समय के साथ भारत की मिलीजुली संस्कृति बदल गई। आजाद ने कहा, "हिंद और मुसलमान साथ रहते हैं। यह असामान्य बात नहीं है कि हिंदू अरबी और मुसलमान गीता का अध्ययन करते हैं। यही भारत की मिलीजुली संस्कृति रही है।"
गौरतलब है कि कांग्रेस से करीब पांच दशक पुराना नाता तोड़ने के बाद गुलाम नबी आजाद रविवार को जम्मू से नई राजनीतिक पारी की शुरुआत करेंगे। वह अपनी पार्टी की पहली इकाई स्थापित करेंगे। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी सहयोगी ने शनिवार को बताया कि कांग्रेस छोड़ने के बाद जम्मू में आजाद की पहली जनसभा की तैयारियां पूरी हो चुकी है।
पूर्व मंत्री जी. एम. सरूरी ने बताया कि रविवार की सुबह दिल्ली से जम्मू आने पर आजाद का भव्य स्वागत किया जाएगा और वह जुलूस के रूप में सैनिक कॉलोनी स्थित जनसभा स्थल तक पहुंचेंगे। गौरतलब है कि सरूरी उन नेताओं में हैं जिन्होंने आजाद के समर्थन में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। संभावना है कि 73 वर्षीय आजाद इस जनसभा में अपनी राजनीतिक पार्टी गठित करने की घोषणा करेंगे। आजाद के समर्थन में पूर्व उप मुख्यमंत्री, आठ पूर्व मंत्री, एक पूर्व सांसद, नौ विधायक और बड़ी संख्या में पंचायती राज संस्थान के सदस्यों, नगर निकाय पार्षदों और जमीनी कार्यकर्तओं ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया है।