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ये तकनीक सिर्फ 8 घंटे में ओमिक्रॉन वेरिएंट का लगा लेगी पता, GBRC को मिली बड़ी कामयाबी

यह तकनीक विकसित करने वाला GBRC, भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) का हिस्सा भी है।

Reported by: Nirnay Kapoor @nirnaykapoor
Published : Dec 15, 2021 07:06 pm IST, Updated : Dec 15, 2021 07:06 pm IST
ये तकनीक सिर्फ 8 घंटे में ओमिक्रॉन वेरिएंट का लगा लेगी पता, GBRC को मिली बड़ी कामयाबी- India TV Hindi
Image Source : AP ये तकनीक सिर्फ 8 घंटे में ओमिक्रॉन वेरिएंट का लगा लेगी पता, GBRC को मिली बड़ी कामयाबी

Highlights

  • GBRC ने तैयार की ओमिक्रॉन का 8 घंटे में पता लगाने वाली तकनीक
  • पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) पर आधारित है नई तकनीक
  • अभी आम तौर 4 से 5 दिन तक का समय लगता है समय

गांधीनगर: गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर यानी GBRC के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए नई तकनीक विकसित की है, जो कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट का तेजी से पता लगाने में सक्षम है। GBRC ने आठ घंटे के भीतर SARS-Cov-2 के ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगाने के लिए एक पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) आधारित तकनीक विकसित की है। अमूमन पूरे जीनोम सीक्वेंस का पता लगाने में 72 घंटे तक लग सकते हैं। बता दें कि ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगाने में आमतौर पर 4-5 दिन तक का समय लगता था, जो घटकर अब सिर्फ 8 घंटे हो सकता है। 

यह तकनीक विकसित करने वाला GBRC, भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) का हिस्सा भी है। इसने तकनीक विकसित करने के लिए SARS-Cov-2 डेटा के अपने जीनोमिक संसाधन का उपयोग किया और अब ये संस्थान इस मेट-होड को एक किट में तब्दील कर अप्रूवल के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) को भेजने की तयारी में है ताकि इसे व्यावसायिक तौर पर उपयोग किया जा सके। इस तकनीक के बारे में GBRC के संयुक्त निदेशक प्रोफेसर माधवी जोशी ने जानकारी दी।

माधवी जोशी ने कहा, “हमने एक सरल पीसीआर-आधारित पद्धति तैयार की है, जहां यदि एक नमूना टेस्ट किया जाता है, तो पहले यह बताएगा कि क्या वह कोविड-19 पॉजिटिव है और फिर यह भी बताएगा कि क्या यह वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट है या नहीं। ओमिक्रॉन वेरिएंट में बहुत सारे म्यूटेशन हैं इसलिए हमने स्पाइक प्रोटीन-विशिष्ट म्यूटेशन में एक एरिया चुना है, इस तरह से केवल GBRC ने 8 घंटे के भीतर ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगाने की विधि विकसित की है।"

उन्होंने कहा, "यदि नमूने में ओमिक्रॉन वेरिएंट है, तो इसका आठ घंटे के भीतर पता लगाया जा सकता है। इसी तरह के पीसीआर को और भी डेवलप किया जा सकता है या इस तकनीक का उपयोग विशेष रूप से स्पेशल मेथड के साथ अन्य प्रकारों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है, जो किसी अन्य वेरिएंट में मौजूद होते है- जैसे डेल्टा।"

जोशी का कहना है कि इस पद्धति के परिणाम केवल इस सप्ताह ऑप्टिमाइज़ किए गए थे, जो तकनीक की सफलता का प्रमाण है। जोशी के मुताबिक, पहले इस टेक्निक का एक साइंटिफिक पेपर वर्क किया जाएगा। उसके बाद ICMR के साथ किट को मान्य कराया जाएगा ताकि इसे व्यावसायिक रूप से हर जगह उपलब्ध कराया जा सके। 

गौरतलब है कि गुजरात में अभी तक ओमिक्रॉन वंरिएंट के चार मामले मिल चुके हैं, जिनमें तीन जामनगर के और एक सूरत का है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि सभी मरीज स्थिर हैं।

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