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UNESCO की इस खास लिस्ट में शामिल हुआ गुजरात का गरबा नृत्य, बोत्सवाना में हुआ एलान

नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले गुजरात के गरबा नृत्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान देते हुए UNESCO ने इसे अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Dec 06, 2023 18:36 IST, Updated : Dec 06, 2023 18:36 IST
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Image Source : FILE गरबा करती हुईं कुछ महिलाएं।

नई दिल्ली: गुजरात के प्रसिद्ध पारंपरिक नृत्य गरबा को UNESCO द्वारा एक अमूर्त विरासत घोषित किया गया है। बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में यूनेस्को ने लिखा, 'अमूर्त विरासत सूची में नया शिलालेख: गुजरात, भारत का गरबा। बधाई हो!' यह निर्णय बोत्सवाना के कसाने में क्रेस्टा मोवाना रिजॉर्ट में चल रहे अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतर सरकारी समिति के 18वें सत्र के दौरान किया गया था। यूनेस्को के मुताबिक, 4 दिसंबर से शुरू हुआ यह सत्र 9 दिसंबर तक चलने वाला है।

गुजरात के सीएम ने X पर किया पोस्ट

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने बुधवार को कहा कि गुजरात का गरबा नृत्य इस सूची में शामिल होने वाली भारत की 15वीं अमूर्त सांस्कृतिक विरासत है। उन्होंने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘यह उपलब्धि सामाजिक और लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने वाली एकीकृत शक्ति के रूप में गरबा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है। एक नृत्य शैली के रूप में गरबा परंपरा और श्रद्धा की जड़ों में गहराई से समाया हुआ है, जिसमें सभी क्षेत्रों के लोग शामिल होते हैं और यह समुदायों को एकजुट करने वाली एक जीवंत परंपरा के रूप में विकसित हो रहा है।’ केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने भी इस मौके पर खुशी जताई है।

क्या होता है गरबा नृत्य?

गुजरात समेत देश-दुनिया के कई हिस्सों में प्रत्येक वर्ष नवरात्रि के मौके पर नौ दिनों के गरबा का आयोजन होता है। गरबा का नाम संस्कृत के गर्भदीप से आया है। इसकी शुरुआत में एक कच्चे मिट्‌टी के घड़े को फूलों से सजाया जाता है। इस घड़े में कई छोटे-छोटे छेद होते हैं और इसके अंदर दीप जलाकर मां शक्ति का आवाह्न किया जाता है। इस दीप को ही गर्भदीप कहते हैं। गरबा यानी की गर्भदीप के चारों ओर स्त्रियां-पुरुष गोल घेरे में नृत्य कर मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं। धीरे-धीरे यह नृत्य गुजरात की सीमा से बाहर निकलकर देश और दुनिया में फैल गया।

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