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कर्नाटक के हुबली में ईदगाह मैदान में मनेगी गणेश चतुर्थी, विवादों के बाद मिल गई इजाजत

कर्नाटक हाई कोर्ट की धारवाड़ बेंच ने शुक्रवार को ईदगाह मैदान परिसर में गणेश मूर्ति की स्थापना और गणेश चतुर्थी मनाने का विरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद यहां समारोह को मनाने का रास्ता साफ हो गया था।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Updated on: September 16, 2023 13:57 IST
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Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE हुबली के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी।

हुबली: कर्नाटक के हुबली जिले के विवादास्पद ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह की अनुमति अधिकारियों ने दे दी है। धारवाड़-हुबली शहर निगम आयुक्त ईश्वर उल्लागड्डी ने 3 दिन के उत्सव की इजाजत देने के लिए शुक्रवार देर रात अनुमति पत्र सौंपा। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और हिंदुत्व संगठनों ने भगवा पार्टी के विधायक अरविंद बेलाड और महेश तेंगिनाकायी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों ने हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी अनुमति पत्र नहीं देने के लिए नगर निकाय की निंदा की थी और सड़क को जाम कर दिया था।

कोर्ट ने गणेश चतुर्थी को लेकर दिया था ये फैसला

पुलिस कमिश्नर उमा सुकुमारन और अतिरिक्त पुलिस बल के मौके पर पहुंचने और प्रदर्शनकारियों को समझाने-बुझाने के बाद ही जाम खुल सकता। इससे पहले शुक्रवार को कर्नाटक हाई कोर्ट की धारवाड़ बेंच ने ईदगाह मैदान परिसर में गणेश मूर्ति की स्थापना और गणेश चतुर्थी मनाने का विरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। अंजुमन-ए-इस्लाम संगठन द्वारा विवादास्पद स्थल पर गणेश उत्सव मनाने की इजाजत देने के हुबली-धारवाड़ सिटी कॉर्पोरेशन के फैसले का विरोध करते हुए याचिका दायर की गई थी। पिछले महीने हुई सामान्य सभा की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई थी लेकिन बाद में नगर निगम ने इजाजत देने से इनकार कर दिया।

कांग्रेस सरकार ने नहीं फहराने दिया था तिरंगा
हुबली में ईदगाह विवाद 1971 में शुरू हुआ जब अंजुमन-ए-इस्लाम ने इस जमीन पर एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाने की कोशिश की और कथित तौर पर 1921 के लीज समझौते का उल्लंघन करते हुए एक बिल्डिंग खड़ी कर दी। समय के साथ इस विवाद ने सियासी मोड़ ले लिया। 1992 में कांग्रेस के शासनकाल में परिसर पर तिरंगा फहराने की कोशिश की गई थी, लेकिन सरकार ने तब यह तर्क देते हुए कार्रवाई रोक दी कि ‘विवादित’ जमीन पर झंडा नहीं फहराया जा सकता। तब यह आशंका जाहिर की गई थी कि इस तरह की किसी भी कार्रवाई से सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है।

पुलिस की फायरिंग में हुई थी 6 लोगों की मौत
1994 में भारतीय जनता पार्टी की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने कहा था कि वह स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ईदगाह मैदान में झंडा फहराएंगी। हालांकि, सांप्रदायिक तनाव के डर से तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया था। उमा भारती को भी विवादित स्थल पर पहुंचने से रोक लिया गया था और कुछ अन्य लोगों को शहर में जबरदस्ती प्रवेश करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना में पुलिस की फायरिंग में 6 लोगों की मौत भी हो गई थी। (IANS)

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