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Ganesh Chaturthi 2023: सिक्कों और 500 तक के नोटों से बनी गणेश प्रतिमा और पंडाल, 1 करोड़ का आया खर्च

गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। अलग-अलग राज्यों में अनोखे प्रकार की गणेश प्रतिमा बनाई जा रही है। इसी कड़ी में बेंगलुरू में सिक्कों से गणेश प्रतिमा बनाई गई है, जिसपर 65 लाख रुपये खर्च हुए हैं। वहीं गर्भगृह को नोटों से सजाया गया है।

Reported By : T Raghavan Edited By : Avinash Rai Published : Sep 18, 2023 14:20 IST, Updated : Sep 18, 2023 14:20 IST
Ganesh Chaturthi 2023 Ganesh idol and pandal made of coins and notes cost Rs 1 crore in bengaluru
Image Source : INDIA TV सिक्कों से बनाई गई गणेश प्रतिमा

देशभर में 19 सितंबर को गणेश उत्सव का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इस बाबत बाजार में लड़िया लग चुकी हैं और बाजार की रौनक देखते ही बन रही है। गणेश चतुर्थी के त्योहार को सबसे ज्यादा धूमधाम से महाराष्ट्र में मनाया जाता है। लेकिन इस कतार में अन्य राज्य भी शामिल होने लगे हैं। दरअसल कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में कमाल का गणेश उत्सव देखने को मिल रहा है। यहां गणेश उत्सव के मद्देनजर एक मंदिर में अनोखी सजावट की गई है। साथ ही गणेश प्रतिमा को भी अनोखे तरीके से तैयार किय गया है। बेंगलुरू के जेपी नगर इलाके में स्थित एक गणपति मंदिर को 65 लाख रुपये मूल्य के करेंसी नोटों और सिक्कों से सजाया गया है। 

सिक्कों से बनें गणपति महाराज

मामला श्री सत्य साई गणपति मंदिर का है जो बेंगलुरू के जेपी नगर इलाके में स्थित है। इस महंगे और अनोखे सजावट पर मंदिर प्रबंधन का कहना है कि मंदिर की दीवारों और गणेश प्रतिमा के चारों तरफ 65 लाख रुपये के सिक्के लगाए गए हैं। जबकि गर्भगृह और परिक्रमा मार्ग की छतों से 10, 20, 50, 100, 500 रुपये के नोटों से झूमर और झालर बनाए गए हैं। मंदिर प्रबंधन ने इस बाबत कहा कि इस सजावट में करीब एक करोड़ रुपये से ज्यादा के नेटों का इस्तेमाल किया गया है। भक्तों से चढ़ावे के रूप में मिली इस धनराशि को चढ़ावे के तौर पर सजाने के लिए किया गया है। 

नोटों से बना मंदिर का पंडाल

बता दें कि पिछले कुछ सालों से गणेश उत्सव के दौरान मंदिर को सजाने के लिए मंदिर प्रबंध फूल, मकई के दानों और कच्चे केलों जैसी ईको फ्रेंडल वस्तुओं का इस्तेमाल करता आ रहा है। बता दें कि गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू कैलेंडर पंचांग के मुताबिक भाद्रपद माह के दौरान आता है। यह शिव तथा पार्वती के पत्र गणेश के जन्म का पल होता है। इसी दिन गणेश पूजा का आयोजन किया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मिट्टी और पीओपी से बनी प्रतिमा को लोग अपने घरों तथा मंदिरों में स्थापित करते हैं। वहीं इस त्योहारा का समापन त्योहार के शुरू होने के 11 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। इस दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को नदी, नहर या किसी साफ और स्वच्छ जलाशय में विसर्जित किया जाता है। 

 

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