Gandhi Peace Prize 2021: गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस को साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। इस घोषणा के बाद भाजपा और कांग्रेस में विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस ने इस मामले पर केंद्र सरकार की आलोचना की। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बयान देते हुए कहा है कि भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है। 100 वर्षों से अधिक समय से गीता प्रेस रामचरित मानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुंचाने का अद्भुत कार्य कर रही है। गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 मिलना उनके द्वारा किये जा रहे इन भागीरथ कार्यों का सम्मान है।
गीताप्रेस को मिलेगा गांधी शांति पुरस्कार
बता दें कि गीताप्रेस को यह पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाएगा। वहीं कांग्रेस ने गीताप्रेस को शांति पुरस्कार दिए जाने को लेकर आलोचना की है। कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए कहा कि 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीताप्रेस को प्रदान किया जा रहा है। इस वर्ष गीताप्रेस अपने 100 साल पूरे होने पर शताब्दी वर्ष मना रहा है। अक्षय मुकुल ने साल 2015 में गीताप्रेस संस्थान की बारे में एक बहुत अच्छी जीवनी लिखी थी। इसमें उन्होंने इस संस्थान के महात्मा गांधी के साथ उतार चढ़ाव वाले राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक संबंधों सहित उनकी लड़ाइयों का खुलासा किया था।
कांग्रेस-भाजपा में विवाद शुरू
जयराम रमेंश ने कहा कि यह फैसला एक उपहास है। यह वैसा ही है जैसे सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देना। बता दें कि हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार व हिंदू धर्म की संस्कृति को दुनियाभर में फैलाना में गीताप्रेस का अतुलनीय योगदान रहा है। गीताप्रेस की शुरुआथ 1923 में हुई थी जिसका 100वां वर्ष साल 2023 में पूरा हो गया है। ऐसे में गीताप्रेस अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में गीताप्रेस का नाम आता है। गीताप्रेस ने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की है। इसमें श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं।