भारत में कुछ दशक पहले तक मोटा अनाज गरीबों का खाना हुआ करता था। ज्यादा वक्त नहीं हुआ होगा, यही करीब चार-पांच दशक पहले की बात है, जब गांव में गरीब औऱ खेतिहर मजदूरों को जमींदारों के खेत में दिन भर की कड़ी मेहनत के बदले खाने में रागी, मकई, जो-बाजरे की रोटी दी जाती थी। उनके घरों में भी मोटे अनाज का ही खाना बनता था। हालांकि मोटा अनाज मध्यम वर्गीय तबके में भी कभी-कभी त्योहार विशेष पर खाने में प्रयोग होता था लेकिन धनाढ्य लोग इसे खाना अपनी तौहीन समझते थे। आज लिट्टी-चोखा या मक्के की रोटी, जौ-बाजरे से बनी चीजें लोग शौक से खरीदकर खाते हैं, जो कभी गरीबों की थाली का आहार हुआ करता था। मोटे अनाज में विटामिन्स-मिनरल्स और पौष्टक तत्वों की भरमार होती है, यही वजह थी कि मोटा अनाज खाने वाले गरीब शारीरिक रूप से मजबूत होते थे और कड़ी मेहनत कर लेते थे। गेहूं-चावल के प्रयोग में आने के बाद धीरे-धीरे मोटे अनाज खाने का चलन कम होता गया और आज इन अनाजों की खूबियों का डंका बज रहा है।
सोने-चांदी के बर्तनों में परोसे जाएंगे मोटे अनाज के व्यंजन
दिल्ली में आयोजित हुए जी-20 के शिखर सम्मेलन में चांदी और सोने की प्लेटेड थालियों में इन्हीं मोटे अनाज से बने व्यंजन विदेशी मेहमानों को परोसे जाएंगे। मोटे अनाजों में बाजरा, ज्वार, रागी, कंगनी, समा, कोदो इत्यादि आते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक सहित कई विश्व नेता, जो दिल्ली के भारत मंडपम में जी20 शिखर सम्मेलन के लिए एकत्र हुए हैं, उन्हें मोटे अनाज से तैयार किए गए स्वादिष्ट भारतीय व्यंजन परोसे जाएंगे।
G-20 भारत के विशेष सचिव मुक्तेश परदेशी ने कहा कि G-20 नेताओं को बाजरा आधारित व्यंजन सहित भारतीय भोजन परोसने का कदम न केवल भारत की समृद्ध पाक विरासत को दर्शाता है, बल्कि शिखर सम्मेलन की एकता और साझा भविष्य के विषय के साथ भी मेल खाता है। शिखर सम्मेलन का विषय - वसुधैव कुटुंबकम (एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य) है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने परदेशी के हवाले से कहा, "साल 2023 मिलेट का वर्ष घोषित किया गया है और इसीलिए जी-20 सम्मेलन में मिलेट से बने व्यंजन भी परोसे जाएंगे।"
मिठाइयों के बारे में बोलते हुए, परदेशी ने कहा कि हम इस सम्मेलन में भारत की पाक विविधता को भी प्रदर्शित करेंगे और सीज़न को ध्यान में रखते हुए, हम घेवर भी परोस सकते हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि सभी होटल जहां विश्व नेता और प्रतिनिधि ठहरेंगे, उन्हें नए बाजरा से बने व्यंजन परोसे जाएंगे। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, आदिवासी महिलाओं रायमती घिउरिया और सुभाषा महंत के प्रयासों की बदौलत विश्व नेताओं और प्रतिनिधियों को ओडिशा के स्वादिष्ट बाजरा व्यंजनों का स्वाद लेने का अवसर भी मिलेगा। ओडिशा के कोरापुट और मयूरभंज के आदिवासी जिलों की रहने वाली दोनों महिलाएं भारत मंडपम में मिलेट, टिकाऊ कृषि और स्वस्थ भोजन की आदतों को लेकर अहम बातें साझा करेंगी।
जी-20 के कार्यक्रमों में मेहमानों को परोसे गए बाजरा से बने व्यंजन
मुख्य शिखर सम्मेलन से पहले आयोजित विभिन्न जी20 कार्यक्रमों में, प्रतिनिधियों को क्रमशः दोपहर के भोजन और रात के खाने दोनों के लिए बाजरा व्यंजन परोसे गए। चाहे जून में गोवा में जी20 पर्यटन मंत्रियों की बैठक हो या अगस्त में वाराणसी में जी20 संस्कृति मंत्रियों की बैठक, नेताओं ने रागी लिट्टी और चोखा सहित बाजरा से बने विभिन्न व्यंजनों का स्वाद चखा है।
2023 को मिलेट ईयर घोषित किया गया है
संयुक्त राष्ट्र महासभा में मोटे अनाजों, खासतौर से बाजरा को वर्ष 2023 के लिये ‘मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष’ घोषित किया है। इससे मोटे अनाजों का महत्व और बढ़ गया है। बता दें कि भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष (IYM) 2023 के प्रस्ताव को प्रायोजित किया, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वीकार कर लिया था। इस अत्यधिक पौष्टिक और स्वास्थ्यप्रद फसल ने अपने सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव के कारण भी काफी लोकप्रियता हासिल की है। मिलेट एशिया और अफ्रीका में आधे अरब से अधिक लोगों के लिए पारंपरिक भोजन माना जाता है और वर्तमान में भारत सहित 130 से अधिक देशों में उगाया जाता है।
आज फिर से हम अपनी पुरानी परंपराओं में वापस लौट रहे
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोटे अनाज को प्रोत्साहन देने के लिए मोटा अनाज वर्ष के आयोजन का भारत का प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए विश्व समुदाय को धन्यवाद दिया था। पीएम मोदी ने रेडियो से प्रसारित अपने मन की बात कार्यक्रम में भी मोटे अनाजों के महत्व की चर्चा करते हुये कहा था- ‘कुपोषण से लड़ने में मोटे अनाज के प्रति जागरूकता लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आधुनिकता न सिर्फ हमारी जीवनशैली बदली, बल्कि हमारा खान-पान भी पूरी तरह से बदल दिया है। देश में पांच दशक पहले हमारे खाने में मोटे अनाज हमारे आहार का मुख्य घटक थे। इसके बाद हमने गेहूं और चावल को अपनी भोजन की थाली में सजा लिया और मोटे अनाज को अपनी थाली से बाहर कर दिया। आज पूरी दुनिया उसी मोटे अनाज के महत्व को समझते हुए उसकी ओर वापस लौट रही है।’
मिलेट को कहते हैं सुपरफूड
विशेषज्ञों का कहना है कि मोटे अनाज में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं जिसके कारण इन्हें सुपरफूड भी कहा जाता है। मोटे अनाज में पोषण और स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद आवश्यक तत्व होते हैं। इनके सेवन से वजन कम करने, शरीर में उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इनसे हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसे जानलेवा रोगों से भी बचाव होता है। आज इनकी किस्मत देखिए जो गरीबों की थाली से निकलकर ये सोने -चांदी की थाली तक पहुंच गए हैं। ।
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