नई दिल्ली: देश की सियासत में एक बार फिर पुलवामा सुसाइड अटैक का मामला सुर्खियों में हैं। फरवरी 2019 में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के करीब 40 जवान शहीद हो गए थे। इसी मामले को लेकर एक बार फिर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने पुलवामा हमले और उसकी जांच को लेकर कई सवाल उठाए। इस हमले की जांच एनआईए ने की थी। एनआईए के पूर्व डीजी वाईसी मोदी और पुलवामा हमले की जांच करनेवाले अधिकारी ने इंडिया टीवी से बातचीत करते हुए यह साफ किया कि पुलवामा हमले में पूरी तरह से पाकिस्तान का हाथ था और जांच में ये तथ्य सामने आए।
वाईसी मोदी ने बताया कि पुलवामा हमले की पहली लीड सुसाइड बॉम्बर का वीडियो था। वहीं घटनास्थल पर डेढ़ किमी तक गाड़ी के टुकड़े फैले हुए थे। गुरुग्राम से मारुति के इंजीनियर्स को बुलवाया गया और उन्होंने यह क्लियर किया कि हमले में मारुति ईको गाड़ी का इस्तेमाल किया गया था। फिदायीन हमलावर आदिल अहमद डार का डीएनए मैच करवाने से उसके हमलावर होने की पुष्टि हुई। हालांकि एक स्टेज ऐसा आया जिसके बाद हमें कोई क्लू नहीं मिल करहा था।
मौलाना मसूद अज़हर के भतीजे उमर फ़ारूक़ को जब एनकाउंटर में मार गिराया और जब उसका फ़ोन मिला तो वहीं से जम्मू कश्मीर पुलिस ने एनआइए को जानकारी दी और फिर उसके बाद इस मामले के सुराग मिलते गए और जांच आगे बढ़ती गई। उमर फारुक के फ़ोन में सारा डेटा मौजूद था। यहां तक कि पाकिस्तान से कनेक्शन वीडियो और सारी एक्टीविटी मौजूद थी। वीडियो क्लिप और वॉयस क्लिप बनाकर अपने आकाओं को भेजने का भी सारा इन्फ़ॉर्मेशन उसके फोन में मिला। इससे साफ हो गया कि इस हमले में पाकिस्तान का कनेक्शन है।
वाईसी मोदी ने बताया कि जांच में यह पता लग चुका था कि उमर फारुक ही RDX लेकर जम्मू के इंटरनेशनल बॉर्डर के पास हीरा नगर के इलाक़े से टनल के ज़रिए आया था। पुलवामा हमले में गाड़ी के अंदर 200 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। इसमें RDX, अमोनियम नाइट्रेट, ग्लिसरीन भी शामिल था। 140 किलो और साठ किलो की अलग-अलग आईईडी का इस्तेमाल किया गया। उमर फारुक की मोबाइल के अंदर जो डिटेल मिली उसके अंदर इस इस फिदायीन हमले के लिए जो सामान खरीदी गए उसकी डिटेल्स थी।
वहीं फंडिंग के सवाल पर एनआईए के पूर्व डीजी ने बताया कि पाकिस्तान के दो बैंक में उमर फारूक के कहने पर पुलवामा हमले के लिए पैसै जमा किए गए। उस दौरान उमर फारूक मौलाना मसूद अजर और रॉऊफ़ असग़र से बात कर रहा था। इन लोगों की प्लानिंग जनवरी में फिदायीन हमला करने की थी। लेकिन 14 फ़रवरी को जम्मू श्रीनगर हाईवे बंद होने के बाद पहली बार खुला और फिर तब जाकर ईको गाड़ी से ये फिदायीन हमला किया गया। इको गाड़ी पुलवामा हमले से पहले 8 बार खऱीदी और बेची गई।
चूंकिअंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर हीरा नगर इलाक़े में टनल के जरिए घुसपैठ हुई थी और विस्फोटक लाए गए थे इसलिए हमने बीएसएफ को इसकी जानकारी दी और उस टनल को नष्ट कर दिया गया। इसके बाद हमने घुसपैठ के सभी रास्तों और उनके ओवर ग्राउंड वर्कर्स पर नकेल कसी गई। वाईसी मोदी ने बताया कि एक दिलचस्प बात ये है कि आदिल अहमद दार जिस वीडियो में कह रहा है कि वो फिदायीन हमला करने जा रहा है, उसमें शक्ल तो आदिल अहमद दार की है लेकिन आवाज़ उसके चचेरे भाई की है। क्योंकि वो बहुत ही पढ़ी लिखी आवाज थी।
दो सौ किलो आरडीएक्स का इस्तेमल हुआ था। जिस तरह की घटना घटी उसे बिलकुल साफ़ था कि एक बार में विस्पोट को नहीं लाया गया बल्कि थोड़े-थोड़े खेप में यह भारत पहुंचा।
इन लोगों की प्लानिंग और फिदायीन हमला करने की थी। लेकिन बालाकोट एयर स्ट्राइक होने के बाद सभी लोगों ने भारत के प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पाकिस्तान के ऊपर दबाव बनाया जिसकी वजह से वे शांत हुए। टेरर फंडिंग की वजह से ही यासीन मलिक को भी हमने बुक किया। आतंकियों के समर्थक और फाइनेंसर को चिन्हित कर उनके घर दबिश डाली।जिनके खिलाफ़ सबूत मिले उन सब की गिरफ़्तारी हुई।
वहीं डीएसप देविंदर सिंह पर उन्होंने कहा-'एसपी देविंदर अभी भी गिरफ़्तार है हमारे इनवेस्टिगेशन में बिलकुल क्लीयर था कि वो आतंकियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जा रहे थे। DSP देविंदर का पुलवामा अटैक से संबंध नहीं है वो नावेद नाम के एक आतंकी को जम्मू ले जा रहा था। इस केस में उन्हें बेल मिली। पुलवामा से उनका कोई संबंध नहीं था। पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड पाकिस्तान में था उसके साथी पाकिस्तान से आए थे और उन्हें यहीं पर लोकल सपोर्ट मिला। उमर फारुक 2017 में अफ़ग़ानिस्तान में विस्फोटक बनाने की ट्रेनिंग लेकर आया था। उसके तीन और पाकिस्तानी साथी भी थे। ये पूरा सबूत है। इसमें जो लोकल महिला शामिल थी उसको भी हमने गिरफ़्तार किया।
वहीं दिग्विजय सिंह के सवाल पर वाईसी मोदी ने कहा-'हमें दुख होता है, अफ़सोस होता है जब राजनीतिक कारणों की वजह से हम पर कोई उंगली उठाता है। वे यह नहीं सोचते कि हमारे साथी पुलिस ऑफ़िसर जो मारे गए हैं उनका क्या होगा ? हम इस पर यक़ीन करते हैं कि जब हम सम्मानित संस्था में काम करते हैं तो हम प्रूफ़ के साथ आगे बढ़ते हैं। उंगली कोई भी उठाए हमें कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
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