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वैज्ञानिक, तकनीकी शब्दों के साथ क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दकोश प्रकाशित करेगी भारत सरकार

भारतीय शिक्षा मंत्रालय का वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग ‘सीएसटीटी‘ 10 विभिन्न भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में कम प्रतिनिधित्व वाली तकनीकी और वैज्ञानिक शब्दावली विकसित करने के लिए काम कर रहा है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: May 07, 2023 18:24 IST
वैज्ञानिक, तकनीकी शब्दों के साथ क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दकोश प्रकाशित करेगी भारत सरकार - India TV Hindi
Image Source : FILE वैज्ञानिक, तकनीकी शब्दों के साथ क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दकोश प्रकाशित करेगी भारत सरकार

Government of India: क्षेत्रीय भाषा में अध्ययन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार कई उपाय कर रही है। केवल अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई पर निर्भरता कम हो और प्रादेशिक भाषाओं में भी पढ़ाई हो, ताकि दूरदराज के लोग भी अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम को पढ़कर रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकें। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय शिक्षा मंत्रालय का वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग ‘सीएसटीटी‘ 10 विभिन्न भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में कम प्रतिनिधित्व वाली तकनीकी और वैज्ञानिक शब्दावली विकसित करने के लिए काम कर रहा है।

दरअसल, भारत के संविधान में जो 22 भाषाएं आठवीं अनुसूची में शामिल हैं। उनमें से ज्यादातर में तकनीकी अवधारणाओं और वैज्ञानिक शब्दों को समझाने के लिए शब्दावली की कमी काफी महसूस होती है। इसी समस्या के कारण बहुत कम अध्ययन सामग्री क्षेत्री भाषाओं में उपलब्ध हो पाती है। इसी परेशानी को समझते हुए केंद्र सरकार ने विभिन्न भाषाओं में अध्ययन के लिए तकनीकी और वैज्ञानिक शब्दावली विकसित कर रहा है। इनमें संस्कृत, बोडो, संथाली, डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, नेपाली, मणिपुरी, सिंधी, मैथिली और कोंकणी जैसी भाषाएं शामिल हैं। 

सीएसटीटी आने वाले तीन चार महीनों में प्रत्येक भाषा में 5000 शब्दों के साथ मूल शब्दकोशों को जारी करेगा। ये डिजिटल रूप से, बिना किसी शुल्क के और खोज योग्य प्रारूप में उपलब्ध होंगे। प्रत्येक भाषा में 1000-2000 प्रतियां छपी होंगी।

जिन विषयों में विद्यार्थी सरकारी सेवा भर्ती परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, उन विषयों के लिए खासतौर तवज्जो दी गई है। इनमें सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, पत्रकारिता, लोक प्रशासन, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान,प्राणीशास्त्र, मनोविज्ञान, भौतिकी, अर्थशास्त्र, आयुर्वेद और गणित सहित 15 क्षेत्रों को कवर करना पहली प्राथमिकता है। इससे विश्वविद्यालय और मिडिल और सीनियर दोनों स्कूलों के लिए पाठ्यपुस्तकें बनाना संभव होगा।

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