केंद्र सरकार द्वारा शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किए गए 5 न्यायाधीशों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम 6 फरवरी को किया जाएगा। इस दिन पांचों न्यायाधीश शपथ ग्रहण करेंगे। शीर्ष अदालत के सूत्रों द्वारा यह जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट परिसर में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पांचों न्यायाधीशों को शपथ दिलाएंगे। बता दें कि उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम की ओर से पिछले साल 13 दिसंबर को इन न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश की गई थी।
इससे पहले दिन में कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी.वी संजय कुमार, पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मनोज मिश्रा को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये जाने की ट्वीट के जरिये घोषणा की।
सुप्रीम कोर्ट में बढ़ जाएगी जजों की संख्या
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने पांचों जजों के नामों की घोषणा की जानकारी ट्वीट के जरिए दी। बता दें कि इन जजों के शपथ के साथ ही शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या 32 पहुंच जाएगी। वर्तमान में शीर्ष अदालत में भारत के मुख्य न्यायधीश समेत 27 न्यायधीश कार्यरत हैं। जबकि मुख्य न्यायाधीश समेत 34 जजों के नियुक्ति की स्वीकृति है।
सुप्रीम कोर्ट ने दी चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच द्वारा केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा गया था कि हमें हमें ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर न करें जो बहुत असहज करने वाला होगा। बता दें कि कॉलेजियम द्वारा 13 दिसंबर को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति के लिए पाच न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की गई थी।
कोर्ट ने क्या कहा
अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने शुक्रवार को न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ को सूचित किया था कि पांच न्यायाधीशों के नामों को बहुत जल्द मंजूरी दे दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत के कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के तबादले को मंजूरी देने में देरी पर केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा था कि इसके परिणामस्वरूप प्रशासनिक और न्यायिक दोनों तरह की कार्रवाइयां हो सकती हैं जो कि सुखद नहीं हैं। पीठ ने कहा था, ''हमें कोई स्टैंड न लेने दें जो बहुत असुविधाजनक होगा। उन्होंने कहा कि यदि न्यायाधीशों के स्थानांतरण को लंबित रखा जाता है, तो यह गंभीर मुद्दा बन जाता है।