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अखंड भारत के पहले प्रधानमंत्री कौन थे, नेहरू, नेताजी या कोई और? जानिए सही जवाब

देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती मना रहा है, उन्हें नमन कर रहा है, उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है, लेकिन सोशल मीडिया में एक बहस बहुत तेज़ी से चल रही है।

Written By: Hussain Rizvi @thehussainrizvi
Published : Jan 23, 2023 13:33 IST, Updated : Jan 23, 2023 13:33 IST
नेताजी सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू
Image Source : FILE PHOTO नेताजी सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू

देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती मना रहा है, उन्हें नमन कर रहा है, उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है, लेकिन सोशल मीडिया में एक बहस बहुत तेज़ी से चल रही है कि अखंड भारत के पहले प्रधानमंत्री कौन थे नेहरू, नेताजी या कोई और?

निर्वासित सरकार में नेताजी सुभाष चंद्र बोस कब बने प्रधानमंत्री

अभी हाल ही में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज़ाद हिंद सरकार का ज़िक्र किया था। उन्होंने कहा कि आज़ाद हिंद सरकार जो अखंड भारत की पहली स्वदेशी सरकार थी, वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने बनाई और 21 अक्टूबर 1943 में उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली। अब ये जानना ज़रूरी है कि आज़ाद हिंद सरकार क्या है। दरअसल, आज़ाद हिंद का सपना देखने वाले सुभाष चंद्र बोस की रणनीति से परेशान होकर अंग्रेज़ों ने 1940 में उन्हें घर में ही नज़रबंद कर दिया था। अंग्रेज़ उन्हें बहुत दिनों तक क़ैद नहीं रख सके और नेताजी अंग्रेज़ों की आंख में धूल झोंकर भागने में कामयाब हो गए। इसके बाद उन्होंने आज़ादी की लड़ाई देश के बाहर से लड़ी।

बोस ने सिंगापुर में निर्वासित सरकार बनाई थी

Image Source : FILE PHOTO
बोस ने सिंगापुर में निर्वासित सरकार बनाई थी

21 अक्टूबर, 1943 में उन्होंने सिंगापुर में निर्वासित सरकार बनाई, जिसे उन्होंने आज़ाद हिंद सरकार का नाम दिया। नेताजी ने खुद को सरकार का हेड ऑफ स्टेट यानी प्रधानमंत्री और युद्ध मंत्री घोषित किया। इस सरकार की अपनी फौज यानी आज़ाद हिंद फौज थी, करेंसी, कोर्ट, सिविल कोड और राष्ट्रगान भी था। सुभाष चंद्र बोस की सरकार को जापान, जर्मनी, इटली, और रिपब्लिक ऑफ चाइना समेत 9 देशों ने मान्यता  भी दी थी। इस तरह की सरकारों को ‘Government In Exile’ कहा जाता है। आप आसान भाषा में इसे देश से बाहर बनाई गई सरकार कह सकते हैं।

आज़ाद भारत के पहले और अखंड भारत में भी प्रधानमंत्री थे नेहरू
करीब 300 सालों तक अंग्रेज़ों की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आज़ादी का दिन देखना नसीब तो हुआ, लेकिन अपना एक हिस्सा गंवाने की शर्त पर। 3 जून 1947 को भारत के आखिरी वायसरॉय लॉर्ड लुई माउंटबेटन ने बंटवारे का फॉर्मूला पेश किया और भारत को दो हिस्सों में बांटने का ऐलान हुआ। भारत के बंटवारे की इस घटना को ‘तीन जून योजना’ या ‘माउंटबेटन योजना’ के तौर पर जाना जाता है। मतलब अखंड भारत के बंटवारे का ऐलान 3 जून 1947 में हुआ जबकि भारत में अंतरिम सरकार 2 सितंबर 1946 से ही काम कर रही थी।

नेहरू की अगुवाई में बनी थी भारत की अंतरिम सरकार

Image Source : FILE PHOTO
नेहरू की अगुवाई में बनी थी भारत की अंतरिम सरकार

दरअसल, भारत आज़ाद तो 15 अगस्त 1947 में हुआ। लेकिन ब्रिटेन ने भारतीयों के हाथ में सत्ता एक साल पहले सौंप दी थी, जिसके तहत भारत में अंतरिम सरकार बनी थी। ये तय हुआ कि कांग्रेस का अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री बनेगा। 6 जुलाई 1946 को जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए और ये चौथी बार था जब नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। नेहरू की अगुवाई में भारत की अंतरिम सरकार बनी और वो प्रधानमंत्री बने। इसके बाद भारत में पहला आम चुनाव हुआ और नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री भी बने।

नेताजी से पहले भी बन चुकी थीं भारत की निर्वासित सरकारें

Image Source : FILE PHOTO
नेताजी से पहले भी बन चुकी थीं भारत की निर्वासित सरकारें

सुभाष चंद्र बोस नहीं थे पहले प्रधानमंत्री
सुभाष चंद्र बोस निर्वासित सरकार बनाने वाले पहले व्यक्ति नहीं थे। उनसे पहले दिसंबर 1915 में राजा महेंद्र प्रताप और मौलाना बरकतउल्लाह ने काबुल में भारत की पहली निर्वासित सरकार बनाई थी। उस सरकार में हाथरस के राजा महेंद्र प्रताप सिंह राष्ट्रपति और मौलाना बरकतउल्ला प्रधानमंत्री थे। उनकी सरकार को ‘हुकूमत-ए-मुख़्तार-ए-हिंद’ कहा जाता था। इस तरह भारत की पहली निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री मौलाना बरकतउल्ला थे।

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