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Heart Attack & Covid: हृदयाघात के मामले बढ़ने पर कोविड की बूस्टर डोज से डर ! जानें एक्सपर्ट व्यू , WHO ने दी ये चेतावनी

Heart Attack & Covid: कभी 19 साल के युवक की हृदयाघात से मौत तो कभी 21 साल के नौजवान की मौत, कभी गरबा करते हार्ट अटैक तो कभी रामलीला में किरदार निभाते मौत..... और वह भी ऐसी मौत कि संभलने का कोई मौका नहीं दे रही। बस, झटपट आई और प्राण हर ले गई।

Reported By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: October 22, 2022 10:31 IST
Heart Attack & Covid- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Heart Attack & Covid

Highlights

  • युवाओं में हृदयाघात की वजह पोस्ट कोविड इफेक्ट
  • वैज्ञानिकों ने वैक्सीन को लेकर दिया बड़ा सुझाव
  • हृदयाघात से बचने के लिए सतर्कता जरूरी

Heart Attack & Covid: कभी 19 साल के युवक की हृदयाघात से मौत तो कभी 21 साल के नौजवान की मौत, कभी गरबा करते हार्ट अटैक तो कभी रामलीला में किरदार निभाते मौत..... और वह भी ऐसी मौत कि संभलने का कोई मौका नहीं दे रही। बस, झटपट आई और प्राण हर ले गई। पहले तो हार्ट अटैक भी ऐसे नहीं होते थे, ज्यादातर मामलों में नजदीकी अस्पताल पहुंचने या कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) करने का समय मिल जाता था। इससे अधिकांश मरीजों की जान बचा ली जाती थी। मगर कोरोना के बाद से हार्ट अटैक की प्रवृत्ति ही बेहद भयावह हो चली है। नाचते-गाते, कुर्सी पर बैठे, चलते-फिरते या जिम और एक्सरसाइज करते अथवा बोलते-बोलते कब किसके ऊपर हार्ट अटैक पड़ जाए, कुछ भी कहना मुश्किल है।

पिछले छह-सात महीनों से इस तरह के हार्ट अटैक वाले डरावने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होकर लोगों को गहरा सदमा पहुंचा रहे हैं। यह कोरोना का साइड इफेक्ट(पोस्ट कोविड) है या फिर कोविड वैक्सीन का विपरीत रिएक्शन.....फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है। इन आशंकाओं को अभी न तो खारिज किया जा सकता है और न ही इसे सही ठहराया जा सकता है। हालांकि कोविड से हृदयाघात होने और पोस्ट कोविड के दुष्परिणामों को लेकर पहले भी कई रिसर्च सामने आ चुके हैं, जिसमें विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस के असर से हृदयाघात और पक्षाघात का जोखिम होने, अंग फेल्योर होने के खतरे को सही माना है। वहीं किसी-किसी कोविड वैक्सीन को लेकर भी कुछ वैज्ञानिक और डॉक्टर इससे क्लॉटिंग होने (रक्त का थक्का जमने) की आशंका जता चुके हैं। कुछ लोगों में वैक्सीन के असर से क्लॉटिंग के चलते हृदयाघात और स्ट्रोक की आशंका होने को सही भी माना गया है। हालांकि विशेषज्ञ अभी इस मामले में विस्तार से रिसर्च की जरूरत बता रहे हैं।

Covid Vaccine

Image Source : INDIA TV
Covid Vaccine

बूस्टर डोज से लोग क्यों करने लगे तौबा

पोस्ट कोविड और कोविड वैक्सीन का डर लोगों में इस कदर बैठ गया है कि अब वह कोरोना की बूस्टर डोज लेने से भी तौबा कर रहे हैं। हालत यह है कि बूस्टर डोज नहीं लेने से कई मिलियन डोज रखे-रखे खराब हो गई। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मालिक और सीईओ आदार पूनावाला ने भी गुरुवार को इस बात की पुष्टि करते हुए कहाहै कि बूस्टर डोज की कोई मांग अब नहीं रह गई है। लोग इसे लेने से तौबा कर रहे हैं। इसलिए दिसंबर 2021 में ही हमने कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन बंद कर दिया था। अब हालत यह है कि उस समय स्टॉक में मौजूद लगभग 100 मिलियन खुराक डंप करना पड़ गया। उन्होंने कहा कि ईमानदारी से बताऊं कि इससे मैं खुद भी तंग आ गया हूं। यह स्थिति हम सभी के साथ है।

हृदयाघात के लिए पोस्ट कोविड या वैक्सीन में से कौन जिम्मेदार?..एम्स के डॉक्टर की ये है राय
हृदयाघात के लिए कोरोना वायरस यानि पोस्ट कोविड अधिक जिम्मेदार है या फिर कोविड वैक्सीन ?.... इस सवाल पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर राकेश यादव कहते हैं कि कोविड वायरस से क्लॉटिंग होने की बात कई रिसर्च में साबित हो चुकी है। इसलिए निश्चित रूप से हृदयाघात और स्ट्रोक के मामले बढ़ने के लिए कोरोना वायरस या पोस्ट कोविड इफेक्ट जिम्मेदार है। उन्होंने वैक्सीन से हृदयाघात या स्ट्रोक होने के सवाल पर कहा कि यह बहुत रेयर है। पश्चिमी देशों के कुछ रिसर्च में किसी-किसी वैक्सीन से क्लॉटिंग के चलते हृदयाघात या स्ट्रोक होने की बात सामने आई है, लेकिन लाखों में एक दो केस में ही ऐसा हो सकता है। मगर इसका मतलब ये नहीं कि वैक्सीन नहीं लें, क्योंकि कोविड वैक्सीन के फायदे बहुत अधिक हैं और नुकसान बेहद आंशिक। इसलिए वैक्सीन की बूस्टर डोज जरूर लें। क्योंकि जो लोग वैक्सीन नहीं ले रहे, उन्हें कोविड होने पर हार्ट हटैक और स्ट्रोक का रिस्क वैक्सीन ले जुके लोगों से ज्यादा रहेगा। जिन युवाओं को कोविड हो चुका है, वह समय-समय पर अपनी हार्ट संबंधी जांच कराते रहें। ताकि यह पता चल सके कि उनके हार्ट पर कोई असर तो नहीं हो रहा। कहीं कोई रक्त का थक्का तो नहीं जम रहा।

WHO Advisory

Image Source : INDIA TV
WHO Advisory

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक और बड़ी लहर को लेकर चेताया
लोगों के वैक्सीन न लेने की वजह कुछ भी हो। यह भी हो सकता है कि कुछ लोगों ने कोरोना के मामले अब कम होने से भी बूस्टर डोज लेने से बच रहे हैं। मगर अभी कोविड का खतरा पूरी तरह नहीं टला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बीच दुनिया को कोरोना की एक और बड़ी लहर सामने आने की चेतावनी दे दी है। इससे पूरे विश्व में हलचल मच गई है। क्या माना जाए कि अब लॉकडाउन और कोविड से मौतों के तांडव का एक और कोविड युग आने वाला है, क्या एक बार फिर डर और सन्नाटे के साये में लोगों को जीना पड़ सकता है, क्या एक बार फिर स्कूल, कालेज से लेकर मल्टीप्लेक्स, बाजारों और मॉलों की रौनक फीकी पड़ सकती है, क्या फिर से लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हो सकते हैं..... तो इसका जवाब हां भी हो सकता और नहीं भी। इसलिए लोगों को अपनी लापरवाहियों को कम करना होगा।

जारी रखना होगा जीनोम सीक्वेंसिंग
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि नए सॉर्स कोविड-2 वैरिएंट के सामने आने से अब स्वास्थ्य कर्मियों और कम आयु वर्गों के 100 फीसद टीकाकरण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना के नए रिकांबिनेंट एक्सबीबी तो ओमिक्रोन 300 के तमाम उप वैरिएंट से अधिक प्रतिरोधी (खतरनाक) हैं। अभी तक कोविड के इस नए एक्सबीबी वैरिएंट को लेकर किसी भी देश के पास कोई प्रभावी डेटा नहीं है कि इससे क्या खतरे हो रहे हैं और कितने अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। फिर भी हमें इसे लेकर अभी से सतर्क रहना होगा और अभी से जीनोम सीक्वेंसिंग की रणनीति को जारी रखना होगा। ताकि इसके मामले आते ही पकड़े जा सकें।

WHO Advisory

Image Source : INDIA TV
WHO Advisory

ह्रदयाघात से कैसे बचें

  • रोजाना तीन से पांच किलोमीटर पैदल चलें।
  • खाने में ताजे फल, सलाद और हरी सब्जियां लें।
  • तनाव लेने से दूर रहें।
  • कम से कम छह से आठ घंटे तक पर्याप्त नींद लें।
  • एक्सरसाइज और व्यायाम करें।
  • तेल-मसाला युक्त भोजन से परहेज करें।
  • समय-समय पर हृदय और रक्त क्लॉटिंग संबंधी जांच कराते रहें।
  • कोविड हो चुका है तो विशेष रूप से सतर्क रहें और हृदय की जांच जरूर कराएं।
  • खान-पान और दिनचर्या को नियमित करें।
  • ज्यादा देर रात तक मोबाइल या टीवी देखते रहना भी हृदयाघात की वजह हो सकती है।

सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा कोविड के नए वैरिएंट के लिए विशिष्ट बूस्टर डोज
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के निदेशक आदार पूनावाला ने कहा कि हम ओमिक्रोन-विशिष्ट बूस्टर के लिए अमेरिका की नोवावैक्स के साथ साझेदारी कर रहे हैं। यह ओमिक्रोन के विभिन्न वैरिएंट के खिलाफ काम करेगी। यह एक तरह का द्विसंयोजक टीका होने जा रहा है। हमारी कोवोवैक्स वैक्सीन का ट्रायल इसके प्रभावों के अध्ययन के लिए जारी है। इसके बूस्टर शॉट को अगले 10-15 दिनों में अनुमति मिलने की संभावना है। इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट अमेरिकी फर्म कोडाजेनिक्स के साथ नाक के रास्ते दी जाने वाली इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन भी विकसित कर रहा है। इसकी सिर्फ एक डोज लेने की ही जरूरत होगी। जब हर साल लोग फ्लू का टीका लेते हैं तो इसके साथ कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज भी ली जा सकती है। 

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