Monday, December 30, 2024
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शौक के लिए पिता बना हैवान! 60 हजार रुपये में बच्चे को बेच मोटरसाइकिल खरीदी, पुलिस ने पकड़ा तो कहा- दान में दिया बेटा

60 हजार रुपयों के लिए नवजात शिशु को बेचकर पिता ने नई मोटरसाइकिल खरीद ली। जब पुलिस ने उसे पकड़ा तो कहा कि वह बच्चा नहीं पाल सकता था। इसलिए उसे दान में दे दिया है।

Edited By: Shakti Singh
Published : Dec 29, 2024 14:26 IST, Updated : Dec 29, 2024 14:26 IST
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Image Source : META AI प्रतीकात्मक तस्वीर

ओडिशा में बालासोर जिले के हदामौद गांव में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक पिता ने अपने नवजात बेटे को एक नि:संतान दंपति को सिर्फ इसलिए बेच दिया ताकि वह नई बाइक खरीद सके। नवजात शिशु की मां शांति पात्रा ने मयूरभंज जिले के पोड़ापोडा गांव के धर्मू बेहरा से शादी की थी और दोनों बालासोर के हदामौद गांव में रह रहे थे। शादी के बाद शांति ने दो बेटों को जन्म दिया। धर्मू की पहली शादी से पहले ही एक बेटा था।  

19 दिसंबर, 2024 को धर्मू ने शांति को बारिपदा के पंडित रघुनाथ मुर्मू मेडिकल कॉलेज में डिलीवरी के लिए भर्ती कराया। धर्मू पर आरोप है कि 22 दिसंबर को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उसने अपने नवजात बेटे को मयूरभंज जिले के सैंकुला गांव के एक नि:संतान दंपति को 60,000 रुपये में बेच दिया। कथित तौर पर इस सौदे को गांव के दो युवकों ने अंजाम दिया। इस चौंकाने वाली घटना का खुलासा तब हुआ जब धर्मू ने बेचे गए पैसे से नई बाइक खरीदी और गांव में घूमने लगा। यह देखकर ग्रामीणों को शक हुआ और उन्होंने इसकी जानकारी बाल कल्याण समिति को दी।  

पुलिस का बयान

मयूरभंज के खुंटा थाने की आईआईसी सुजाता खमारी ने कहा, "एक दंपति ने 60,000 रुपये में एक बच्चे को खरीदा है। बाल कल्याण समिति से हमें इस घटना की जानकारी मिली। बाल कल्याण समिति और खुंटा पुलिस ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया और बच्चे को खरीदने वाली दंपत्ति से बच्चे को रेस्क्यू कर लिया गया। बच्चा अब बाल कल्याण समिति की देखरेख में है। हम इस मामले में आगे की जांच कर रहे हैं।"

आरोपी पहले से तीन बच्चों का पिता

बाल कल्याण समिति के मुताबिक, "बच्चे को खरीदने वाली दंपति की शादी को लगभग 15 साल हो चुके हैं, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। इसीलिए उन्होंने कथित तौर पर एक बच्चे को खरीदा। शांति पात्रा और धर्मु पात्रा बिचौलिए के माध्यम से बच्चे को खरीदने वाले दंपत्ति के संपर्क में आए। खरीदार दंपति मयूरभंज जिले के बारिपदा शहर के निवासी हैं। हमें पता चला कि इन लोगों ने शिशु के बदले 60,000 रुपये का लेन-देन किया। विक्रेता पति की पहली शादी से एक और दूसरी शादी से दो संतानें पहले से थीं, जिससे उन्हें चौथे बच्चे को पालने में मुश्किलें होती। इसलिए उन्होंने बारिपदा के दंपति को बच्चा बेच दिया। 

अस्पताल में हुआ सौदा

बाल कल्याण समिति ने बताया "यह सौदा सीधे अस्पताल में हुआ। शिशु को बेचने के बाद धर्मु (नवजात शिशु के पिता) ने कथित तौर पर एक मोटरसाइकिल खरीदी और अपने इलाके में धूम मचाई। हमें इस घटना की जानकारी स्थानीय लोगों से मिली। इस शिशु की खरीद-फरोख्त अवैध है, क्योंकि यह एडॉप्शन पॉलिसी का पालन नहीं करता। हालांकि, हमने खुंटा पुलिस की मदद से शिशु को बचा लिया है और अपनी देखभाल में रखा है। हमने विक्रेता दंपति को इस मामले में जवाब देने के लिए बुलाया है। मामले की आगे की जांच जारी है।"

बच्चे की मां ने आरोपों को गलत बताया

बच्चे की मां ने सभी आरोपों से इंकार करते हुए बताया "हमने एक बच्चे को जन्म दिया पर हम उसे पाल नहीं सकते। एक दंपत्ति जिसकी कोई संतान नहीं थी हमने उन्हें बच्चे को दान में दे दिया है। हम गांव के एक परिचित के द्वारा बारिपदा के दंपत्ति के संपर्क में आए और उन्हें बच्चा दे दिया। हम पर आरोप लगाया गया है कि हमने पैसों के लिए बच्चे को बेच दिया पर हमने कोई पैसा नहीं लिया है। हम अपने परिचय पत्र के आधार पर बिना पैसे दिए मोटरसाइकिल ले आए थे पर पैसे न चुका पाने की वजह से शोरूम वाले अगले दिन ही मोटरसाइकिल वापस ले गए।" फिलहाल नवजात को बाल कल्याण समिति की देखरेख में रखा गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

(ओडिशा से शुभम कुमार की रिपोर्ट)

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