Monday, November 25, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. 378 दिन बाद खत्म हुआ किसान आंदोलन, 'घर वापसी' शुरू; जानिए किन-किन मुद्दों पर बनी है सहमति

378 दिन बाद खत्म हुआ किसान आंदोलन, 'घर वापसी' शुरू; जानिए किन-किन मुद्दों पर बनी है सहमति

किसानों की मांग थी कि आंदोलन के दौरान देशभर में दर्ज हुए मुकदमे को वापस लिया जाए। एमएसपी पर कानूनी गारंटी दी जाए। केंद्र की सहमति के बाद 15 जनवरी को किसानों की फिर समीक्षा बैठक होगी।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 11, 2021 11:06 IST
किसान नेता राकेश टिकैत- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO/ PTI किसान नेता राकेश टिकैत

Highlights

  • 15 जनवरी को फिर किसानों की होगी समीक्षा बैठक
  • जानें- कानून वापसी के अलावा किन-किन मांगों को केंद्र ने माना
  • 17 सितंबर 2020 को पारित हुआ था कृषि संबंधी तीनों कानून

नयी दिल्ली: आखिरकार 378 दिन बाद किसानों का आंदोलन खत्म हो गया है। आज‌ 11 दिसंबर को सभी अपने-अपने घर की ओर रवाना होंगे। किसानों का पहला जत्था अपने घर के लिए रवाना हो गए हैं। राकेश टिकैत ने कहा है कि वो 15 जनवरी के बाद जाएंगे। उन्होंने कहा है कि अगले चार दिनों में अधिकांश किसान चले जाएंगे। इसके लिए किसानों ने दिल्ली में डले डेरे से तिरपाल, टेंट हटाने शुरू कर दिए हैं। इसे  किसान 'विजय दिवस' के रूप में मना रहे हैं। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ इन किसानों का एक साल से अधिक समय से प्रदर्शन चल रहा था। इन किसानों की मांग थी कि ये कानून किसान विरोधी है, इसे वापस लिया जाए। वहीं, केंद्र का कहना था कि वो कानून में संशोधन कर सकती है लेकिन वापस नहीं ले सकती है। हालांकि, पीएम मोदी ने 19 नवंबर को प्रकाश पर्व पर तीनों कृषि संबंधी कानून को वापस लेने की घोषणा कर दी। वहीं, 29 नवंबर को इससे संबंधित बिल को लोकसभा और राज्यसभा से पास कर दिया गया। अब ये कानून वापस लिया जा चुका है। लेकिन, किसानों की कुछ और मांगे थी जिस पर कानून वापसी के बाद भी सहमति नहीं बन पा रही थी। जिसके बाद किसानों की चेतावनी थी कि जब तक केंद्र सरकार इन मांगों पर विचार कर अपना स्पष्ट रूख नहीं बताती है। आंदोलन खत्म नहीं होगा।

गाज़ीपुर बॉर्डर से भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, 

आज से किसान अपने-अपने घर जा रहे हैं लेकिन हम 15 दिसंबर को घर जाएंगे क्योंकि देश में हज़ारों धरने चल रहे हैं, हम पहले उन्हें समाप्त करवाएंगे और उन्हें घर वापस भेजेंगे।

अगले साल उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। किसान आंदोलन के दौरान हुए उपचुनाव और पंचायत चुनाव में बीजेपी को नुकसान हुआ है। माना जा रहा है कि केंद्र ने इसी के मद्देनजर ये फैसला लिया है।

कानून वापसी के अलावा ये मांगे थी किसानों की

किसानों की मांग थी कि आंदोलन के दौरान देशभर में दर्ज हुए मुकदमे को वापस लिया जाए। एमएसपी पर कानूनी गारंटी दी जाए। सरकार और किसानों के बीच में बातचीत को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इसमें बलबीर राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, अशोक धावले, युद्धवीर सिंह और शिवकुमार कक्का शामिल हैं। किसानों की ये भी मांग है कि आंदोलन के दौरान मरे किसानों के परिवार को मुआवजा दिया जाए।

15 जनवरी को फिर किसानों की बैठक

केंद्र और किसानों के बीच बनी सहमति के बाद अब 15 जनवरी को फिर से किसान संगठन ने बैठक बुलाई है। इसमें आंदोलन की समीक्षा होगी। किसानों का कहना है कि वो इस तारीख को देखेंगे कि केंद्र अपने फैसले पर कितना अमल कर पाई है। यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर से आंदोलन शुरु होगा।

5 जून 2020 को केंद्र ने कृषि सुधार बिल संसद में रखा था। जिसे 17 सितंबर को पारित कर दिया गया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि किसानों और उनकी मांग को नजरअंदाज करते हुए इसे आनन-फानन में बिना किसी बहस के हंगामे के बीच पास कर दिया गया। इसके बाद पंजाब में सबसे पहले इसका विरोध शुरू हुआ । बिल पारित होने के 3 दिन बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ यह एक कानून बन गया। फिर 25 नवंबर को किसानों ने दिल्ली के लिए कूच कर दिया। सुप्रीम कोर्ट इन कानूनों पर पहले ही रोक लगा चुकी थी। लेकिन, किसानों की मांग थी कि जब केंद्र ने कानून बनाया है तो वही इसे वापस ले सकता है।

केंद्र और किसानों के बीच करीब 11 दौर की बातचीत हुई थी। लेकिन, कोई रास्ता नहीं निकल पाया। इसी साल 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर मार्च का आवाह्न किया था। इस दौरान दिल्ली में कुछ प्रदर्शनकारी के कथित तौर पर लाल किले तक पहुंचने के आरोप लगे। वहीं, हिंसा भी हुई। इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। 

किसान आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर नेता राकेश टिकैत उभरे। आंदोलन के दौरान टिकैत ने लगातार बीजेपी समेत अन्य दलों की अगुवाई वाले राज्यों में किसान महापंचायत की और आंदोलन को मजबूत किया। कोरोना महामारी के दौरान भी किसान दिल्ली में डटे रहें।

किसानों और केंद्र के बीच बनी सहमति

मुआवजा: उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों को राज्य सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाएगा। इसके लिए दोनों राज्यों की सरकार के बीच सहमति बन गई  है। पंजाब सरकार किसानों के मुआवजे का ऐलान कर चुका है। इसी तरह इन राज्यों के किसानों को भी 5 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। किसान संगठनों का दावा है कि आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है।

MSP: एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने को लेकर केंद्र ने कहा है कि सरकार एक कमेटी बनाएगी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। अभी जिन फसलों पर एमएसपी मिल रही है, वो जारी रहेगा।

मुकदमा वापस: हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब सरीखे अन्य राज्यों के किसानों का एक साल से अधिक समय से प्रदर्शन चल रहा था। केंद्र सरकार केस वापसी पर सहमत दे दी हैं। जिन-जिन राज्यों में आंदोलन के दौरान किसानों पर केस दर्ज किए गए हैं, वो वापस लिये जाएंगे।

बिजली बिल: केंद्र सरकार ने किसानों की मांग को मानते हुए ये सहमति दी है कि वो बिजली संशोधन बिल को सीधे संसद में नहीं ले जाएगी। सभी संबंधित किसान संगठन के साथ-साथ अन्य पक्षों से बातचीत के बाद ही फैसला लिया जाएगा। 

प्रदूषण कानून: पराली जलाए जाने को लेकर केंद्र ने सेक्शन 15 के तहत किसानों को गिरफ्तार करने, जुर्माना लगाने का प्रावधान लागू किया था। इस पर किसानों ने आपत्ति जताई थी। 

गणतंत्र दिवस की घटना को छोड़ दें तो किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण रहा है लेकिन, इस दौरान संगठनों का दावा है कि 700 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवाई है। हाल ही में लखीमपुर खीरी हिंसा में कुल 9 लोगों की मौत हुई है। आरोप है कि केंद्र गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा ने अपनी गाड़ी से किसानों को रौंद दिया। ये किसान यहां पहुंचे नेता का विरोध कर रहे थे। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जारी है। इसे लेकर कई बार कोर्ट ने यूपी सरकार और राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement