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Bilateral Talks With America: 'हम अपने राष्ट्रहित के आधार पर विकल्प चुनते हैं' विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के आखों में डालकर कही ये बड़ी बात

Bilateral Talks With America: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत में तेजी से भारत चिंतित है और यह हमारी कमर तोड़ रही है।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published : Sep 28, 2022 17:00 IST, Updated : Sep 28, 2022 17:00 IST
Bilateral Talks With America
Image Source : AP Bilateral Talks With America

Highlights

  • कच्चे तेल की कीमत में तेजी से भारत चिंतित है
  • हमारी कमर तोड़ रही है
  • हम दुनियाभर में संभावना देखते हैं

Bilateral Talks With America: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत में तेजी से भारत चिंतित है और यह हमारी कमर तोड़ रही है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ द्विपक्षीय बातचीत के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने मंगलवार को कहा कि विकासशील देशों के बीच ऊर्जा जरूरतों के समाधान को लेकर काफी चिंता है। यूक्रेन युद्ध के बारे में उन्होंने कहा, हमने निजी तौर पर, सार्वजनिक और लगातार यह कहा है कि यह झड़प किसी के हित में नहीं है।

तेल की कीमत बढ़ना बड़ी चिंता 

रूस से आने वाले तेल की कीमत सीमा तय किए जाने की जी-7 (G-7) देशों की पहल के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा  कि हम तेल के दाम को लेकर काफी चिंतित हैं। हालांकि, हमारी अर्थव्यवस्था 2,000 डॉलर प्रति व्यक्ति की है लेकिन जब तेल की कीमत हमारी कमर तोड़ रही है, तब यह हमारे लिये बड़ी चिंता की बात है। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि पूर्व में जब भी हम कुछ योगदान करने में सक्षम थे, हम उसके लिये तैयार रहे। इस समय कुछ मुद्दे हैं। उन्होंने बताया कि आपको यह समझना होगा कि पिछले कुछ महीनों से ऊर्जा बाजार पहले से ही काफी दबाव में हैं। वैश्विक स्तर पर विकासशील और अल्पविकसित देशों के लिये न केवल बढ़ती कीमतों को लेकर बल्कि उपलब्धता के मामले में भी सीमित ऊर्जा के लिये प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है।

ये वैश्विक स्तर पर कैसे करता है प्रभावित 
जयशंकर ने कहा कि अभी हमारी चिंता यह है कि ऊर्जा बाजार पहले से ही दबाव में है, यह कम होना चाहिए। हम किसी भी स्थिति का स्पष्ट रूप से मूल्यांकन करेंगे कि यह वैश्विक स्तर पर दक्षिण (विकासशील और अल्पविकसित देश) में हमें और अन्य देशों को कैसे प्रभावित करता है। विकासशील देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा की जरूरत के समाधान को लेकर काफी चिंता है। भारत का रूस से तेल आयात अप्रैल से 50 गुना से अधिक बढ़ा है और अब विदेशों से लिये जाने वाले कुल तेल में इसकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत हो गयी है। 

राष्ट्रहित के आधार पर विकल्प चुनते हैं
यूक्रेन युद्ध से पहले भारत के आयातित तेल में रूस की हिस्सेदारी केवल 0.2 प्रतिशत थी। विकसित देश यूक्रेन पर हमले के बाद धीरे-धीरे रूस से ऊर्जा खरीद कम कर रहे हैं। भारत के रूस से सैन्य उपकरण खरीदे जाने के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने कहा कि हम कहां से अपने सैन्य उपकण प्राप्त करते हैं, वह कोई मुद्दा नहीं है। यह एक नया मुद्दा बन गया है जो विशेष रूप से भू-राजनीतिक परिस्थितियों के कारण है। उन्होंने कहा कि हम दुनियाभर में संभावना देखते हैं। हम प्रौद्योगिकी की गुणवत्ता, क्षमताओं की गुणवत्ता और उन शर्तों को देखते हैं जिनपर विशेष उपकरण पेश किये जाते हैं। हम अपने राष्ट्रहित के आधार पर विकल्प चुनते हैं। 

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