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पोस्टमॉर्टम करने वाली डॉक्टर की भी कांप गई रूह, वायनाड में मची थी ऐसी तबाही

वायनाड में आई तबाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां पर शवों के पोस्टमॉर्टम के लिए तैनात एक महिला डॉक्टर के लिए भी यह एक भयानक अनुभव बनकर रह गया है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: August 01, 2024 21:20 IST
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Image Source : PTI वायनाड में हुए भूस्खलन में दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है।

वायनाड: केरल के वायनाड जिले में भीषण भूस्खलन ने ऐसी तबाही मचाई है कि शवों का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर भी सिहर उठे हैं। स्थानीय अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए तैनात एक डॉक्टर ने त्रासदी का दिल दहला देने वाला विवरण पेश करते हुए कहा कि हमारे सामने यह ऐसा दृश्य था जिसे में शायद ही जीवन में कभी भूल पाउंगी। उन्होंने रूंधे गले से कहा,‘मैं तो पोस्टमॉर्टम करने की आदी हो चुकी हूं, लेकिन यहां ऐसा (दृश्य) था जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।’

‘ऐसा मैंने पहले कभी नहीं देखा था’

एक शव के पोस्टमॉर्टम के बारे में बताते हुए डॉक्टर ने कहा, ‘शव इतनी बुरी तरह कुचला जा चुका था कि मैं दोबारा देखने की हिम्मत नहीं जुटा पायी। ऐसा मैंने पहले कभी नहीं देखा था।’ उन्होंने कहा कि इस तबाही ने उन्हें अंदर तक हिला दिया है। इस क्षेत्र में वर्षों का अनुभव रखने वाली डॉक्टर ने अपनी पहचान उजागर करने की अनिच्छा जताई। उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने करियर में कई शव देखे हैं लेकिन ये (शव) उससे अलग था। (भूस्खलन का) इतना भयंकर असर था कि ऐसा लगा कि उस इंसान को चकनाचूर कर दिया गया हो।’

‘दूसरा शव एक साल के बच्चे का था’

अस्पताल में लाए गए अधिकतर शव बुरी तरह क्षत-विक्षत थे। डॉक्टर ने कहा, ‘जब मैंने पहला शव देखा तो मैंने खुद से कहा कि मैं यह नहीं कर सकती। यह बुरी तरह कुचला हुआ था और दूसरा शव एक साल के बच्चे का था। मैंने महसूस किया मैं यह (पोस्टमॉर्टम) नहीं कर पाउंगी और मैं वहां से भागकर किसी ऐसे अस्पताल में चले जाना चाहती थी, जहां हम बच गये लोगों की देखभाल कर सकें। लेकिन उस दिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था और हमने 18 पोस्टमॉर्टम किए।’

‘पहले दिन 93 से ज्यादा पोस्टमॉर्टम हुए’

जब वह और उनके साथी डॉक्टर पहले दिन आए शवों को संभालने में मुश्किल में पड़े तो राज्य के विभिन्न हिस्सों से कई अपराध विज्ञान चिकित्सक पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए पहुंचने लगे। महिला डॉक्टर ने कहा, ‘पोस्टमॉर्टम करने के लिए 8 मेजें थीं और शाम तक हमारे पास इतने अपराध विज्ञान डॉक्टर आ गए कि हर मेज पर एक ऐसा डॉक्टर सर्जन था। शाम 07:30 बजे तक हमने 53 पोस्टमॉर्टम किये।’ अपराध विज्ञान डॉक्टरों की टीम ने आपदा के पहले दिन रात साढ़े 11 बजे तक अपना काम जारी रखा और 93 से अधिक शवों का पोस्टमॉर्टम पूरा किया।

‘डॉक्टरों के लिए भी ये बेहद कठिन था’

मैनेजमेंट बेहतर होने की वजह से पोस्टमॉर्टम की प्रक्रियाओं को पूरा करने में देर नहीं हुई। डॉक्टर ने कहा, ‘स्थिति बेहद दिल दहला देने वाली थी। हमने इससे पहले ऐसी स्थिति में शव नहीं देखे थे। यहां तक की इस कार्य को अंजाम देने वाले डॉक्टरों के लिए भी ये बेहद कठिन था। भूस्खलन के तीव्र प्रहार ने लोगों को कुचल दिया, उनके टुकड़े-टुकड़े कर दिये। डॉक्टरों को शरीर के अंगों को संभालना पड़ा, कभी-कभी पीड़ितों के केवल आंतरिक अंगों को। शवों की पहचान करने के लिए उन्होंने DNA विश्लेषण के लिए इन अंगों के नमूने लिए।’ (भाषा)

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