Highlights
- किसी विमान के उड़ान भरने से पहले जानें क्या जांचें हैं जरूरी
- क्या उड़ान से पहले नियमों को किया नजरअंदाज
- स्पाइसजेट ने नहीं मानी डीजीसीए की चेतावनी
Safe landing of Plane:दिल्ली से मुंबई जा रही एक फ्लाइट में बैठे यात्रियों में उस वक्त खलबली मच गई, जब पंक्चर होने के बाद भी उनका प्लेन अचानक रनवे पर दौड़ने लगा। इससे यात्रियों की सांसें सहम गईं और धड़कनों की रफ्तरा कई गुना तेज हो गई। हर यात्री सोच रहा था कि आखिर अब क्या होगा। एअरपोर्ट और विमान प्रबंधन अधिकारी भी यह जानकर हैरान थे, वह सभी रनवे की ओर देखने दौड़े।
दरअसल विमान चालक को भी नहीं पता था कि जहाज का टायर पंक्चर हो चुका है। इसलिए पायलट ने बेखौफ होकर रनवे पर हमेशा की तरह विमान को दौड़ा दिया। मगर जब जहाज डगमगाने लगा तो अनहोनी की आशंका से सभी के रोंगटे खड़े हो गए। रनवे पर उतर जाने के बाद अब कोई विकल्प भी उसे रोक पाने का नहीं था। धीरे-धीरे पायलट ने स्पीड कम करने का प्रयास किया। इस दौरान सभी यात्री घबराए और डरे सहमे भगवान से जान बचाने की प्रार्थना करते रहे। कुछ यात्रियों ने तो खौफ से अपनी आंखों ही बंद कर लीं। क्योंकि कोई भी हादसा देख पाने का हौसला उनमें नहीं था। कुछ मिनटों बाद आखिरकार विमान की गति कम हो गई और वह रनवे पर ठहर गया। तब जाकर यात्रियों ने राहत की सांस ली।
हादसाग्रस्त होने से बचा स्पाइसजेट का बोइंग 737-800
स्पाइसजेट का बोइंग 737-800 ने सोमवार को दिल्ली से मुंबई के लिए उड़ान भरी थी। सुबह करीब नौ बजे मुंबई के रनवे पर उतर गया। इसी दौरान रनवे पर दौड़ते वक्त टायर के हवा निकल जाने की जानकारी हुई। इसके बाद काफी देर के लिए मुख्य रनवे को निरीक्षण के लिए बंद कर दिया गया। बाद में विमान की सुरक्षित लैंडिंग कराई जा सकी। जांच में विमान का एक टायर पंक्चर मिला।
डीजीसीए की चेतावनी के बाद भी विमान ने भरी थी उड़ान
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की चेतावनी के बाद भी स्पाइसजेट के विमान ने उड़ान भरी थी। डीजीसीए ने स्पाइसजेट को एह हफ्ते पहले ही अपने 50 फीसद विमानों में तकनीकी खामियों को दूर करने के बाद ही उड़ान भरने की अनुमति दी थी। बावजूद स्पाइसजेट ने डीजीसीए के आदेशों को नजरंदाज किया। इसके बाद डीजीसीए ने स्पाइसजेट के कई विमानों का पंजीकरण रद्द कर दिया है।
उड़ान भरने से पहले क्या जांच होती है जरूरी
किसी भी विमान के उड़ान भरने से पहले उसकी कई बारीकी तकनीकी जांच की जाती है। जब पायलट सभी जांच को ओके कर देता है। तब माना जाता है कि विमान उड़ने के काबिल है। इससे पहले फ्लाइट क्रू और मेंटिनेंस क्रू भी जांच में मदद करते हैं। मगर उड़ान भरने से पहले इसकी पूरी जिम्मेदारी पायलट और को पायलट की होती है। मेंटिनेंस टीम विमान के रख-रखाव और प्रबंधन का कार्य देखती है। वह इसकी पूरी सूचना फ्लाइट क्रू को देती है।
यह जांच होती है अनिवार्य
- फायर डिटेक्टर्स, मौसम रडार, वार्निंग लाइट्स और अन्य सिस्टम
- सेंसर सही काम कर रहा है या नहीं
- प्रोब्स और स्ट्रक्चरल कंपोनेंट्स, मोटर्स और केबल का विजुअल इंस्पेक्शन होता है।
- विमान के बाहरी और आंतरिक सभी हिस्सों की बारीकी से तकनीकी जांच होती है।
- हर 500 घंटे की उड़ान के बाद होती है संपूर्ण जांच
- जांच में लगता है पांच से छह घंटे का वक्त
- विमान के सभी पुर्जों, उपकरणों और सिस्टम की कंप्युटराइज्ड जांच हर छह महीने में
- हर दो साल में विमान के कई उपकरण बदल दिए जाते हैं।
- हर छह साल में विमान के 50 फीसद से ज्यादा पार्ट बदले जाते हैं। यह काफी खर्चीला होता है।