Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Special Tiger Protection Force: केंद्र की सलाह के 10 साल बाद भी टाइगर स्टेट MP में विशेष बाघ संरक्षण बल नहीं, सबसे ज्यादा मौतें भी यहीं

Special Tiger Protection Force: केंद्र की सलाह के 10 साल बाद भी टाइगर स्टेट MP में विशेष बाघ संरक्षण बल नहीं, सबसे ज्यादा मौतें भी यहीं

Special Tiger Protection Force: मध्यप्रदेश भले ही टाइगर स्टेट के नाम से जाना जाता हो लेकिन सबसे ज्यादा बाघों की मौत भी यहीं होती है। 2012 में बाघों के संरक्षण के लिए केंद्र ने मध्यप्रदेश को विशेष बाघ संरक्षण बल (STPF) गठन करने की सलाह दी थी लेकिन राज्य में 10 साल बाद भी STPF का गठन नहीं किया गया है।

Edited By: Pankaj Yadav
Published on: July 28, 2022 19:29 IST
Special Tiger Protection Force- India TV Hindi
Image Source : ANI Special Tiger Protection Force

Highlights

  • केंद्र की सलाह के 10 साल बाद भी नहीं हुआ STPF का गठन
  • टाइगर स्टेट के नाम से जाना जाता है मध्यप्रदेश को
  • सबसे ज्यादा बाघों के मरने की संख्या भी यही है

Special Tiger Protection Force: मध्य प्रदेश में विशेष बाघ संरक्षण बल (STPF) का गठन केंद्र की सलाह के 10 साल बाद भी नहीं हुआ है। वर्ष 2012 से देश में सबसे ज्यादा बाघों की मौत मध्य प्रदेश में ही हुई है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के मुताबिक, भारत में 2012 से अब तक 1,059 बाघों की मौत हो चुकी है। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 270 बाघों की मौत हुई है। 

टाइगर स्टेट के नाम से भी जाना जाता है मध्यप्रदेश

इस राज्य को 'टाइगर स्टेट' के रूप में जाना जाता है। वर्ष 2018 की बाघ गणना के मुताबिक, मध्य प्रदेश में 526 बाघों के साथ भारत के 'टाइगर स्टेट' के रूप में उभरा था। इसके बाद कर्नाटक में 524 बाघों की जान गई है। मध्य प्रदेश में इस साल अब तक 27 बाघों की मौत हो चुकी है, जबकि पिछले साल 41 बाघों की जान गई थी। प्रदेश में 6 टाइगर रिज़र्व हैं। NTCA ने 2009-2010 में उन राज्यों को सलाह दी थी जहां बाघों की संख्या अधिक है कि वे विशेष पुलिसकर्मियों को भर्ती कर उन्हें प्रशिक्षित करें ताकि वे बाघों की सुरक्षा के लिए वनों में गश्त कर सकें। इसके बाद STPF कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा और असम में गठित कर दी गई। इसमें बाघ परियोजना योजना के तहत केंद्र सरकार से 60 फीसदी सहायता मिलती है। 

STPF के न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता -मुख्य वन्यजीव वार्डन (MP)

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, NTCA और मध्य प्रदेश के बीच 2012 में हुए त्रिपक्षीय समझौते के तहत राज्यों को समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो साल के भीतर बल को गठित करना, हथियार देना और अपने टाइगर रिज़र्वों में तैनात करना था। मध्य प्रदेश ने इसके बाद नेशनल पार्कों में बाघों की सुरक्षा के लिए ‘स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स’, स्मार्ट गश्ती और श्वान दस्तों को गठित किया है लेकिन STPF गठित नहीं किया गया है। मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन जे.एस. चौहान ने कहा कि प्रदेश के पास बाघों की सुरक्षा के लिए मजबूत तंत्र है और STPF के न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि एसटीपीएफ गठित करने का फैसला राज्य सरकार के स्तर पर किया जाएगा। अधिकतर बाघों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई हैं जिनमें आपसी लड़ाई, बीमारी और उम्र शामिल है। अप्राकृतिक कारणों से बाघों की मौत की संख्या में अहम वृद्धि नहीं हुई है। हम कुछ नहीं छुपा रहे हैं।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement