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कर्नाटक में बिजली की खपत ने जनवरी में ही तोड़ दिए सारे रिकॉर्ड, गर्मियों में रहेगी भारी डिमांड

पिछले साल गर्मियों के दौरान लगभग 15000 मेगावाट का पीक लोड दर्ज किया गया था, वहीं उम्मीद की जा रही है कि इस साल गर्मी तक यह 15,500 मेगावाट तक पहुंच सकता है।

Edited By: India TV News Desk
Published on: January 17, 2023 12:19 IST
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Image Source : PTI REPRESENTATIONAL कर्नाटक में बिजली की खपत ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

बेंगलुरू: कर्नाटक में सियासी दलों द्वारा मुफ्त बिजली के वादे पर चल रही बहस के बीच बीते शुक्रवार को एक नया रिकॉर्ड बन गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 13 जनवरी यानी कि शुक्रवार कर्नाटक में कुल 23.5 करोड़ यूनिट बिजली की खपत हुई जो जनवरी 2022 में 190-210 यूनिट के बीच रहा करती थी। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में बिजली की खपत में और बढ़ोत्तरी होने की पूरी उम्मीद है। जहां पिछले साल गर्मियों के दौरान लगभग 15000 मेगावाट का पीक लोड दर्ज किया गया था, वहीं उम्मीद की जा रही है कि इस साल गर्मी तक यह 15,500 मेगावाट तक पहुंच सकता है।

कर्नाटक में मुफ्त बिजली के वादे से गरमाई सियासत

बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस के मुफ्त बिजली के वादे से सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने बीते बुधवार को वादा किया था कि राज्य में सत्ता में आने पर वह हर घर को प्रत्येक महीने 200 यूनिट नि:शुल्क बिजली उपलब्ध कराएगी। बेलगावी में बस से राज्यव्यापी ‘प्रजा ध्वनि यात्रा’ की शुरुआत करते हुए कांग्रेस ने जनता को अपनी ‘पहली गारंटी’ के तौर पर नि:शुल्क बिजली देने का वादा किया था। बता दें कि कर्नाटक में इस साल मई में विधानसभा चुनाव होना है और उसकी पूरी कोशिश है कि बीजेपी को सूबे की सत्ता से बेदखल कर दिया जाए।

सीएम बोम्मई ने कांग्रेस पर साधा था निशाना
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा राज्य में सत्ता में आने पर सभी परिवारों को हर महीने 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने संबंधी चुनावी वादे को ‘गैर-जिम्मेदाराना और तर्कहीन’ करार दिया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस की इस घोषणा से पता चलता है कि ‘वे चुनावी होड़ में कितने निम्न स्तर पर पहुंच गये हैं। यह एक गैर-जिम्मेदाराना और तर्कहीन फैसला है। वे (कांग्रेस) हताश हैं। इसलिए वे ऐसी घोषणा कर रहे हैं। कांग्रेस से ऐसी कई और घोषणाओं की उम्मीद है।’ बिजली की बढ़ती खपत के बीच आने वाले दिनों में ‘फ्री इलेक्ट्रिसिटी’ एक प्रमुख चुनावी मुद्दे के रूप में उभर सकता है।

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