Highlights
- वोटर आईडी को Aadhar से जोड़ने समेत चुनाव सुधार संबंधी बिल संसद में पारित
- विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को मौलिक अधिकारों एवं निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला बताया
- भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां चुनाव प्रक्रिया बहुत साफ-सुथरी होनी चाहिए- रिजिजू
यी दिल्ली: राज्यसभा में मंगलवार को कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने आधार कार्ड को मतदाता सूची से जोड़े जाने के प्रावधान वाले विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए इसे लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित करने का प्रयास करार दिया जबकि सरकार ने कहा कि इस विधेयक से देश में फर्जी मतदान रोकने में मदद मिलेगी और मतदाता सूची की शुचिता को सुनिश्चित किया जा सकेगा। उच्च सदन में विभिन्न दलों के सदस्यों ने हंगामे के बीच निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 पर चर्चा की और बाद में इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। लोकसभा इसे कल ही पारित कर चुकी थी।
12 विपक्षी सदस्यों के निलंबन को रद्द करने और निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक पर सदस्यों को संशोधन लाने के लिए समुचित समय नहीं दिये जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने सदन से वाकआउट किया। उच्च सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संविधान के अनुसार देश का जो नागरिक 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेता है, उसे मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाने का अधिकार मिल जाता है। उन्होंने कहा कि अभी हमारे देश के कानून में यह त्रुटि थी कि किसी नये मतदाता ने यदि एक जनवरी को अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज नहीं करवाया तो उसे पूरे एक वर्ष तक इसके लिए प्रतीक्षा करनी होती है।
कानून मंत्री ने कहा कि डेढ़ करोड़ युवाओं के मतदाता बनने की आयु प्राप्त करने के बावजूद समय सीमा निकल जाने के कारण एक साल तक उनके नाम मतदाता सूची में शामिल करने का कोई मौका नहीं था। उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार प्रयासों के तहत लाये गये इस विधेयक के जरिये ऐसे युवा मतदाताओं को साल में चार बार उनका नाम मतदाता सूची में शामिल कराने का मौका दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में चुनाव की अधिघोषणा के साथ चुनाव अधिकारी को मतदान केंद्र तथा मतदान अधिकारियों के लिए परिसर लेने का अधिकार दिया गया है।
रिजिजू ने कहा कि विपक्षी सदस्य विधेयक का जिन पक्षों को लेकर विरोध कर रहे हैं, उनका कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की सरकार के साथ कई बैठकें हुई हैं और आयोग की सबसे बड़ी चिंता यह है कि कई व्यक्ति ऐसे हैं जिनका नाम कई जगह की मतदाता सूची में है। उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे किसी व्यक्ति को कई मतदाता सूची में नाम होने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां चुनाव प्रक्रिया बहुत साफ-सुथरी होनी चाहिए।
रिजिजू ने कहा कि यह प्रक्रिया तभी साफ-सुथरी होगी जब मतदाता सूची त्रुटिरहित रहे। कानून मंत्री ने कहा कि किसी सही आदमी को इस प्रावधान का विरोध क्यों करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका विरोध वही लोग कर रहे हैं जो फर्जी मतदान कराना चाहते हैं या फर्जी मतदान के जरिये चुनाव कराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जब सरकार चुनाव आयोग के साथ मिलकर ‘‘नकली एवं फर्जी वोटरों’’ को खत्म करना चाहती है तो इसका विरोध क्यों होना चाहिए, इसका तो स्वागत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका विरोध करने वालों को ‘‘नये मतदाता और वास्तविक मतदाता कभी माफ नहीं करेंगे।’’
आधार कार्ड को लेकर विपक्ष की आपत्तियों का जिक्र करते हुए रिजिजू ने कहा कि मतदान अधिकारी मतदाता की पहचान स्थापित करने मात्र के लिए आधार कार्ड का उपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित डेटा बेस सिर्फ चुनाव आयोग के पास रखा जाएगा और इसे सार्वजनिक स्तर पर नहीं रखा जाएगा। कानून मंत्री ने कहा कि संसद की स्थायी समिति ने इस बात की पुरजोर सिफारिश की है कि मतदाता सूची को ठीक करने के लिए आधार कार्ड का उपयेाग करना चाहिए। इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए वाईएसआर कांग्रेस के वेंकटरामन राव मोपीदेवी ने कहा कि आधार कार्ड को मतदाता सूची से जोड़े जाने से फर्जी मतदान को रोकने में मदद मिलेगी। (इनपुट- भाषा)