Saturday, December 21, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Delhi News: चुनावी घोषणाओं पर निर्वाचन आयोग का संहिता में संशोधन का प्रस्ताव, राजनीतिक दलों से मांगी राय

Delhi News: चुनावी घोषणाओं पर निर्वाचन आयोग का संहिता में संशोधन का प्रस्ताव, राजनीतिक दलों से मांगी राय

Delhi News: मुफ्त चुनावी सौगातों को लेकर देश में जारी बहस के बीच निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के समक्ष आदर्श चुनाव संहिता में संशोधन का एक प्रस्ताव रखा है।

Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Published : Oct 04, 2022 23:51 IST, Updated : Oct 04, 2022 23:51 IST
Representational Image
Image Source : PTI Representational Image

Delhi News: मुफ्त चुनावी सौगातों को लेकर देश में जारी बहस के बीच निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के समक्ष आदर्श चुनाव संहिता में संशोधन का एक प्रस्ताव रखा है। आयोग ने इसके तहत चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में मतदाताओं को प्रामाणिक जानकारी देने को लेकर राजनीतिक दलों की राय मांगी है। सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को लिखे गए एक पत्र में आयोग ने उनसे 19 अक्टूबर तक उनके विचार साझा करने को कहा है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि वह चुनावी वादों पर अपर्याप्त सूचना और वित्तीय स्थिति पर अवांछित प्रभाव की अनदेखी नहीं कर सकता है, क्योंकि खोखले चुनावी वादों के दूरगामी प्रभाव होंगे। 

जनता को सुविधाएं देने हेतु खर्च करना चाहिए पैसा

पत्र के अनुसार आयोग ने कहा, "चुनावी घोषणा पत्रों में स्पष्ट रूप से यह संकेत मिलना चाहिए कि वादों की पारदर्शिता, समानता और विश्वसनीयता के हित में यह पता लगना चाहिए कि किस तरह और किस माध्यम से वित्तीय आवश्यकता पूरी की जाएगी।" आयोग के आदर्श चुनाव संहिता में प्रस्तावित संशोधन के अनुसार चुनाव घोषणा पत्रों में चुनावी वादों का औचित्य दिखना चाहिए। निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए AAP ने कहा कि सरकारों को करदाताओं का पैसा नेताओं, उनके परिवार के सदस्यों और मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि जनता को सुविधाएं प्रदान करने के लिए खर्च करना चाहिए। पार्टी ने कहा कि लोगों को बिजली, पानी, स्कूल और अन्य सुविधाएं मुहैया कराना किसी भी सरकार की ‘मुख्य जिम्मेदारी’ होती है। 

'आम आदमी पार्टी अपना विचार रखेगी'

आयोग के प्रस्ताव पर पार्टी की राय के बारे में पूछे जाने पर पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता आतिशी ने कहा, ‘‘आम आदमी पार्टी (निर्वाचन आयोग के समक्ष) अपना विचार रखेगी।’’ आयोग ने यह पत्र ऐसे समय में लिखा है, जब कुछ दिन पूर्व ही प्रधानमंत्री ने ‘‘रेवड़ी संस्कृति’’ का उल्लेख करते हुए कुछ राजनीतिक दलों पर कटाक्ष किया था। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दलों के बीच इसे लेकर वाद-विवाद आरंभ हो गया था। राजनीतिक दलों द्वारा किए गए चुनावी वादों की घोषणा संबंधी प्रस्तावित प्रारूप में तथ्यों को तुलना योग्य बनाने वाली जानकारी की प्रकृति में मानकीकरण लाने का प्रयास किया गया है। प्रस्तावित प्रारूप में वादों के वित्तीय निहितार्थ और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता की घोषणा करना अनिवार्य है। सुधार के प्रस्ताव के जरिये, निर्वाचन आयोग का मकसद मतदाताओं को घोषणापत्र में चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में सूचित करने के साथ ही यह भी अवगत कराना है कि क्या वे राज्य या केंद्र सरकार की वित्तीय क्षमता के भीतर हैं या नहीं। 

वित्तीय आवश्यकता का विवरण देने प्रारूप प्रस्तावित किया 

आयोग ने चुनाव घोषणा पत्र में किए गए वादों से जुड़ी वित्तीय आवश्यकता का विवरण देने के लिए राजनीतिक दलों के लिए एक प्रारूप भी प्रस्तावित किया है। उसने कहा है कि यदि निर्धारित समयसीमा के भीतर राजनीतिक दलों का जवाब नहीं आता है, तो यह मान लिया जाएगा कि उनके पास इस विषय पर कहने के लिए कुछ विशेष नहीं है। आयोग ने कहा है कि निर्धारित प्रारूप, सूचना की प्रकृति और सूचनाओं की तुलना के लिए मानकीकरण हेतु आवश्यक है। निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा कि किए गए वादों के वित्तीय प्रभाव पर पर्याप्त सूचना मिल जाने से मतदाता विकल्प चुन सकेंगे। आयोग ने यह भी कहा कि वह चुनावी वादों पर अपर्याप्त सूचना और वित्तीय स्थिति पर अवांछित प्रभाव की अनदेखी नहीं कर सकता। आयोग ने कहा कि ज्यादातर राजनीतिक दल चुनावी घोषणाओं का ब्योरा समय पर उसे उपलब्ध नहीं कराते। 

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement