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सर्वे की आड़ में वोटर्स की जानकारी लेना बंद करें, उन्हें लालच न दें... सभी पार्टियों को चुनाव आयोग की सख्त हिदायत

चुनाव आयोग ने एडवाइजरी जारी कर कहा है कि पार्टियां और उम्मीदवार सर्वे की आड़ में मतदाताओं का विवरण मांग रहे हैं। इसे तुरंत बंद कर देना चाहिए। आयोग ने कहा कि इसके जरिए मतदाताओं को रजिस्ट्रेशन के लिए आमंत्रित किया जाता है जो एक तरह से प्रलोभन है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: May 02, 2024 18:25 IST
election commission of india- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO चुनाव आयोग

लोकसभा चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग ने एक एडवाइजरी जारी की है। आयोग ने जारी अपनी एडवाइजरी में सख्त हिदायत दी है कि वो सर्वे के नाम पर मतदाताओं से चुनाव के बाद फायदे वाले स्कीम से जुड़ा रजिस्ट्रेशन कराना बंद करें। आयोग का मानना है कि ऐसे सर्वे से वोटिंग प्रभावित होती है। चुनाव आयोग ने कहा है कि इस तरह की गतिविधियों को गंभीरता से लिया गया है क्योंकि यह चुनाव कानून के तहत एक भ्रष्ट आचरण है। पार्टियां और उम्मीदवार सर्वे की आड़ में मतदाताओं का विवरण मांग रहे हैं। इसे तुरंत बंद कर देना चाहिए।

आयोग ने कहा कि इसके जरिए मतदाताओं को रजिस्ट्रेशन के लिए आमंत्रित किया जाता है जो एक तरह से प्रलोभन है। ऐसे मामले में चुनाव आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। चुनाव आयोग ने सभी राष्ट्रीय और राज्य राजनीतिक दलों को किसी भी विज्ञापन, सर्वेक्षण या मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से चुनाव के बाद लाभार्थी-उन्मुख योजनाओं के लिए लोगों को पंजीकृत करने वाली किसी भी गतिविधि को तुरंत बंद करने और उससे दूर रहने के लिए एक सलाह जारी की।

चुनाव आयोग की ओर से जारी एडवाइजरी में जिन गतिविधियों को तुरंत बंद करने का निर्देश दिया गया है उनमें ये गतिविधियां शामिल हैं-

  1. समाचार पत्रों में विज्ञापन के जरिए वोटर्स को मोबाइल पर मिस्ड कॉल देकर या टेलीफोन नंबर पर कॉल कर लाभ के लिए खुद को पंजीकृत करने के लिए कहना।
  2. गारंटी कार्डों के लिए पैम्फलेट द्वारा व्यक्तिगत लाभ चाहने वालों से उनका विवरण जैसे नाम, उम्र, पता, मोबाइल नंबर, बूथ संख्या, निर्वाचन क्षेत्र का नाम और संख्या आदि मांगना।
  3. मतदाताओं की जानकारी जैसे नाम, राशन कार्ड नंबर, पता, फोन नंबर, बूथ नंबर, बैंक खाता नंबर, मांगने वाले फॉर्म का वितरण कराना।
  4. वेब प्लेटफॉर्म या वेब/मोबाइल एप्लिकेशन का प्रचार या प्रसार का इस्तेमाल राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों द्वारा करना और इसके जरिए मतदाताओं का विवरण जैसे नाम, पता, फोन नंबर, बूथ नंबर, निर्वाचन क्षेत्र का नाम और नंबर आदि मांगा जाना।
  5. लोगों से उन्हें मिल रही लाभकारी योजनाओं के साथ-साथ नाम, पति/पिता का नाम, संपर्क नंबर, पता आदि के बारे में जानकारी जुटाना।

(IANS इनपुट्स के साथ)

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