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आखिर ऐसा क्या हुआ कि आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने 8 IAS अधिकारियों को सुना दी सजा?

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने बृहस्पतिवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा के आठ वरिष्ठ अधिकारियों को अदालत की अवमानना का दोषी करार देते हुए दो सप्ताह के कारावास की सजा सुनाई। हालांकि उनके (अधिकारियों के) बिना शर्त माफी मांगने के बाद सजा माफ कर दी गई।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : March 31, 2022 23:29 IST
Andhra Pradesh High Court
Image Source : FILE PHOTO Andhra Pradesh High Court

Highlights

  • आठ IAS अधिकारियों को हाई कोर्ट ने ठहाराया दोषी
  • जून 2020 के फैसले को लेकर अधिकारियों ने की अवमानना
  • आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने दो सप्ताह के कारावास की सजा सुनाई

नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने बृहस्पतिवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service) के आठ वरिष्ठ अधिकारियों को अदालत की अवमानना का दोषी करार देते हुए दो सप्ताह के कारावास की सजा सुनाई। हालांकि उनके (अधिकारियों के) बिना शर्त माफी मांगने के बाद सजा माफ कर दी गई। इसके बदले न्यायाधीश ने अधिकारियों को 12 महीने तक हर महीने किसी भी रविवार को कल्याण छात्रावासों का दौरा कर सामाजिक कार्य करने का निर्देश दिया, जिसपर सभी ने सहमति जतायी। 

न्यायाधीश बी.देवानंद ने कहा, ''छात्रों के साथ कुछ समय बिताकर उन्हें प्रेरित कीजिए और उन्हें अपने खर्च पर भोजन कराइए।'' न्यायाधीश ने एक आदेश में कहा, ''अवमानना करने वालों ने (सामाजिक कार्य करने के लिए) मौखिक वचन दिया है और इसे रिकॉर्ड पर रखा गया है।'' न्यायमूर्ति देवानंद ने कहा, ''अवमानना ​​करने वालों की माफी स्वीकार करते हुए सजा माफ की जाती है। यदि कोई अवमानना ​​करने वाला अपने वचन को पूरा करने में विफल रहता है, तो रजिस्ट्री अवमानना ​​के मामले को फिर से खोलकर अदालत के समक्ष रखेगी।'' 

क्या है मामला?

दरअसल यह मामला सरकारी, मंडल, जिला परिषद और नगर निगम के स्कूलों के परिसर में ग्राम व वार्ड सचिवालय कार्यालय, रायतू भरोसा केंद्र व सरकारी परिसरों में स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण से जुड़ा है। उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर जून 2020 में अंतरिम आदेश जारी किया था जिसमें संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि वे स्कूलों के स्वस्थ वातावरण को प्रभावित करने वाली कोई भी निर्माण गतिविधि न करें। 

बाद के महीनों में दो और रिट याचिकाएं दायर की गईं, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने शिकायत की कि स्कूलों के पास निर्माण गतिविधि जारी है और छात्रों को परेशानी हो रही है। जुलाई 2021 में जब मामला सुनवाई के लिए आया तो अदालत ने कहा कि दो को छोड़कर अन्य प्रतिवादियों ने एक साल बीत जाने के बाद भी जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया। अदालत ने माना कि प्रतिवादियों ने जानबूझकर जून 2020 के आदेश का उल्लंघन किया। इसके बाद अदालत ने खुद ही अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू की। 

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