Thursday, November 14, 2024
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OPG ग्रुप पर ED की रेड, चेन्नई स्थित ठिकानों पर मारा छापा, तलाशी अभियान में मिले 8.38 करोड़ रुपये

ED ने OPG ग्रुप के चेन्नई स्थित परिसरों में छापा मारा और तलाशी के दौरान ईडी को 8.38 कैश मिला। साथ ही ED को लेनदेन से जुड़े हाथ से लिखे नोट भी मिले हैं।

Reported By : Atul Bhatia Written By : Pankaj Yadav Updated on: November 13, 2024 20:15 IST
ED द्वारा जब्त किए गए रुपए- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV ED द्वारा जब्त किए गए रुपए

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चेन्नई में OPG Group के ठिकानों पर छापा मारा है। इस दौरान ईडी ने छापेमारी में 8.38 करोड़ कैश बरामद किए हैं। ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) विनियमों के उल्लंघन के लिए OPG ग्रुप, चेन्नई के खिलाफ तलाशी अभियान चलाया। जिसमें ED ने मेसर्स OPG ग्रुप के कार्यालय परिसर और इसके निदेशकों के आवासीय परिसर से लगभग 8.38 करोड़ रुपये जब्त किए। 

FEMA के तहत हुई कार्रवाई

बता दें कि, ओपीजी ग्रुप के मालिक अरविंद गुप्ता हैं, जो बिजली के उत्पादन का व्यवसाय करते हैं। कंपनी को सेशेल्स स्थित कंपनियों द्वारा 1148 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त हुआ था। जांच में यह भी पता चला है कि धन का दुरुपयोग किया गया था, और RBI को गलत घोषणा सहित FEMA प्रावधानों के कई उल्लंघन सामने आए हैं।  FEMA, 1999 के प्रावधानों के तहत ED की जांच से पता चला कि FDI नीति के तहत कुछ शर्तों के अधीन, बिजली क्षेत्र में निवेश के लिए अभिप्रेत उक्त FDI निधियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अवैध रूप से शेयर बाजार में लगाया गया था, जिसमें म्यूचुअल फंड में निवेश भी शामिल था और भूमि और रियल एस्टेट में भी निवेश किया गया था, जो FDI दिशानिर्देशों के तहत सख्त वर्जित है। इसके अलावा, विक्रेता कंपनियों की सहायता से एक बड़ी राशि को नकदी में परिवर्तित किया गया, जिसने नकली चालान जारी करने में मदद की, जिससे कंपनी को कैश निकालने में मदद मिली। 

मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध गतिविधियों की हो रही जांच

तलाशी के दौरान ईडी को कैश के लेनदेन से जुड़े हाथ से लिखे नोट भी मिले हैं। आगे की जांच से पता चला कि ओपीजी समूह के प्रबंधन ने दुबई, आइल ऑफ मैन, सेशेल्स, सिंगापुर और हांगकांग में कई कंपनियां स्थापित की थीं। जिनके माध्यम से डायवर्ट किए गए पैसे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कथित तौर पर विदेशों में जमा किया गया था। मनी ट्रेल का पता करने के लिए इन विदेशी संस्थाओं की जांच की जा रही है और ये भी पता लगाया जा रहा है कि क्या इन कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग हुई या फिर अन्य अवैध गतिविधियों के लिए इनका इस्तेमाल किया गया। यह निर्धारित करने के लिए इन विदेशी संस्थाओं की जांच की जा रही है।

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