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खराब मौसम के कारण बीटिंग रिट्रीट में नहीं हो सका 'मेगा ड्रोन शो', कई महीनों से चल रही थी तैयारी

बीटिंग र्रिटीट समारोह में देश का सबसे बड़े ड्रोन शो प्रस्तावित था, जिसमें 3,500 स्वदेशी ड्रोन शामिल होने थे। शानदार ड्रोन शो से रायसीना पहाड़ियों के ऊपर शाम के आसमान को रोशनी से जगमगना था।

Edited By: Shashi Rai @km_shashi
Published : Jan 29, 2023 21:25 IST, Updated : Jan 29, 2023 21:29 IST
 बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी 2023
Image Source : PTI बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी 2023

खराब मौसम के कारण गणतंत्र दिवस के समापन समारोह 'बीटिंग रिट्रीट' में ड्रोन शो नहीं हो सका। राष्ट्रपति भवन के करीब विजय चौक पर प्रस्तावित यहां भारत का सबसे बड़ा ड्रोन शो होना था। आधुनिकतम एवं स्वदेशी तकनीक से बने 3000 से अधिक ड्रोन को इस शो का हिस्सा बनाने के लिए कई महीनों से अभ्यास किया जा रहा था। हालांकि खराब मौसम और बारिश के बावजूद पूरे जोश और उमंग के साथ बीटिंग रिट्रीट परेड का आयोजन किया, लेकिन ड्रोन शो इस समारोह का हिस्सा नहीं बन सका। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यहां बीटिंग र्रिटीट समारोह में देश का सबसे बड़े ड्रोन शो प्रस्तावित था, जिसमें 3,500 स्वदेशी ड्रोन शामिल होने थे। शानदार ड्रोन शो से रायसीना पहाड़ियों के ऊपर शाम के आसमान को रोशनी से जगमगना था। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि दिल्ली में बारिश और खराब मौसम के कारण इस मेगा ड्रोन शो रद्द करना पड़ा है। 

राष्ट्रभक्ति और जोश का संचार किया

बारिश के बावजूद बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम निर्बाध रूप से संपन्न हुआ। इस दौरान भारतीय शास्त्रीय रागों पर आधारित भारतीय धुनें इस वर्ष 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह का आकर्षण रही। तीनों सेनाओं के बैंड से निकलती देशभक्ति से ओतप्रोत धुनों ने लोगों में उत्साह, राष्ट्रभक्ति और जोश का संचार किया। सेना के सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार को नई दिल्ली के ऐतिहासिक विजय चौक पर 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह में शिरकत की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित रहे।

शानदार कलाओं और रंगों की प्रस्तूती 

गौरतलब है कि हर साल 29 जनवरी को विजय चौक पर 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह चार दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोह के समापन के तौर पर आयोजित किया जाता है। जब शानदार कलाओं और रंगों को प्रस्तुत किया जाता है तो यह समारोह राष्ट्रीय गौरव की एक अनुपम घटना बन जाती है।

1950 के दशक में हुई शुरुआत 

इस समारोह की शुरुआत 1950 के दशक की शुरुआत में हुई थी, जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने स्वदेशी रूप से सामूहिक बैंड द्वारा प्रदर्शन के अनूठे समारोह को विकसित किया था। यह एक सदियों पुरानी सैन्य परंपरा को दर्शाता है, जब सूर्यास्त के समय रिट्रीट की आवाज सुनकर सैनिक लड़ाई बंद कर, अपने हथियार को रखकर युद्ध के मैदान से अपने शिविरों में वापस लौटते थे। 'बीटिंग द रिट्रीट' सेना की छावनी वापसी का प्रतीक है। समारोह बीते समय की यादों को ताजा करता है।

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