रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने गाइडेड पिनाका हथियार प्रणाली की टेस्टिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। यह टेस्टिंग प्रोविजनल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स (PSQR) वैलिडेशन ट्रायल का हिस्सा थी। फ्लाइट टेस्टिंग तीन चरणों में विभिन्न फील्ड फायरिंग रेंज में की गई। इन परीक्षणों के दौरान, बड़े पैमाने पर रॉकेटों का टेस्ट किया गया। इस दौरान PSQR स्टैंडर्ड जैसे कि रेंज, सटीकता, स्थिरता और सैल्वो मोड (सैल्वो तोपखाने या आग्नेयास्त्रों का एक साथ प्रयोग है जिसमें लक्ष्य को भेदने के लिए तोपों से गोलीबारी शामिल है) में कई लक्ष्यों पर फायर रेट का आकलन किया गया। लॉन्चर उत्पादन एजेंसियों द्वारा अपग्रेड किए गए दो इन-सर्विस पिनाका लॉन्चरों से प्रत्येक उत्पादन एजेंसी के बारह (12) रॉकेटों का परीक्षण किया गया है।
पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम के लिए सटीक हमला करने वाला संस्करण पूरी तरह से स्वदेशी हथियार प्रणाली है, जिसे आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट ने रिसर्च सेंटर इमारत, रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला, उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला और प्रूफ एंड एक्सपेरीमेंटल एस्टेब्लिशमेंट के सहयोग से डिजाइन और विकसित किया है। इसमें गोला-बारूद के लिए म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड और इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड और पिनाका लॉन्चर और बैटरी कमांड पोस्ट के लिए टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और लार्सन एंड टूब्रो ने योगदान दिया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रणाली के सफल पीएसक्यूआर सत्यापन परीक्षणों के लिए डीआरडीओ और भारतीय सेना की सराहना की है और कहा है कि इस निर्देशित पिनाका हथियार प्रणाली को शामिल करने से सशस्त्र बलों की तोपखाने की मारक क्षमता में और वृद्धि होगी।
क्या है पिनाका रॉकेट लॉन्चर?
पिनाका रॉकेट अत्याधुनिक दिशासूचक प्रणाली से लैस है, जिसके कारण यह सटीकता से लक्ष्य की पहचान कर उसपर निशाना साधता है। पुणे स्थित डीआरडीओ प्रयोगशाला, आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (एआरडीई) और हाई एनर्जी मैटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी ने इसका डिजाइन और इसे विकसित किया है। पिनाका रॉकेट की शुरुआती रेंज करीब 37 किलोमीटर थी, जिसे बढ़ाकर 45 किलोमीटर से ज्यादा किया जा चुका है। पिनाका हथियार प्रणाली के जरिए एक साथ कई जगहों पर रॉकेट दागे जा सकते हैं। पिनाका सटीक निशाने की पहचान करता है और वहीं रॉकेट दागता है।