Friday, November 22, 2024
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आवाज नीचे करें और निकलिए कोर्ट से बाहर... जब बार एसोसिएशन अध्यक्ष पर भड़के चीफ जस्टिस

सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बार की तरफ से अफसोस जताते हुए कहा, आज सुबह जो हुआ, उसके लिए मुझे खेद है। मैं माफी मांगता हूं। एक लक्ष्मण रेखा है, जिसे हममें से किसी को पार नहीं करना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि बार को मर्यादा की सीमाओं को पार करना चाहिए।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: March 02, 2023 18:35 IST
CJI DY Chandrachud- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़

नई दिल्ली: देश के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ आज सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट विकास सिंह के धरना देने की धमकी पर भड़क गए। इसके बाद अदालत कक्ष का माहौल थोड़ी देर के लिए तनावपूर्ण हो गया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को वकीलों के चैंबर के लिए एक जमीन के आवंटन से संबंधित विषय पर चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह को आवाज ऊंची न करने और कोर्ट से बाहर जाने को कह दिया।

जानिए पूरा घटनाक्रम

दरअसल, एससीबीए के अध्यक्ष ने मामलों के उल्लेख (मेंशनिंग) के दौरान इस विषय को न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ के समक्ष रखना चाहा और कहा कि वह पिछले 6 महीने से मामले को सूचीबद्ध कराने की मशक्कत में लगे हैं। सिंह ने कहा, ‘‘एससीबीए की याचिका पर अप्पू घर की जमीन सुप्रीम कोर्ट को मिली और एससीबीए को बेमन से केवल एक ब्लॉक दिया गया। पूर्व प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण के कार्यकाल में इस भूमि पर निर्माण शुरू होना था। पिछले छह महीने से हम मामले को सूचीबद्ध कराने की जद्दोजहद में लगे हैं। मुझे एक साधारण वादी की तरह समझा जाए।’’ तब प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप इस तरह जमीन नहीं मांग सकते। आप हमें एक दिन बताइए जब हम पूरे दिन बेकार बैठे हों।’’

इस पर सिंह ने कहा, ‘‘मैंने यह नहीं कहा कि आप पूरे दिन बेकार बैठे हैं। मैं केवल मामले को सूचीबद्ध कराने की कोशिश कर रहा हूं। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो मुझे इस मामले को आपके आवास तक ले जाना होगा। मैं नहीं चाहता कि बार इस तरह का व्यवहार करे।’’ इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ नाराज हो गए। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधान न्यायाधीश को धमकी मत दीजिए। क्या इस तरह का बर्ताव होना चाहिए? कृपया बैठ जाइए। इसे इस तरह सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा। कृपया मेरी अदालत से जाइए। मैं इस तरह (मामले को) सूचीबद्ध नहीं करूंगा। आप मुझे दबा नहीं सकते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मिस्टर विकास सिंह, अपनी आवाज इतनी ऊंची मत कीजिए। अध्यक्ष के रूप में आपको बार का संरक्षक और नेता होना चाहिए। मुझे दुख है कि आप संवाद का स्तर गिरा रहे हैं। आपने अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की है और दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट को आवंटित जमीन चैंबर के निर्माण के लिए बार को दे देनी चाहिए। हम मामले के आने पर इसे देखेंगे। आप अपने हिसाब से हमें चलाने की कोशिश मत कीजिए।’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘आप न्यायालय को आवंटित एक जमीन बार को देने के लिए कह रहे हैं। मैंने अपना फैसला सुना दिया है। इसे 17 तारीख (मार्च) को लिया जाएगा और यह मुकदमों की सूची में पहले नंबर पर नहीं होगा।’’

एससीबीए अध्यक्ष ने कहा, ‘‘अगर आप इसे खारिज करना चाहते हैं तो कृपया कर दीजिए, लेकिन ऐसा मत कीजिए कि इसे सूचीबद्ध ही न किया जाए।’’ वरिष्ठ अधिवक्ता ने अपनी बात जारी रखी और कहा कि बार ने हमेशा अदालत का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कभी इस तरह का व्यवहार नहीं चाहता, लेकिन मैं इस मामले में ऐसा करने को बाध्य हूं।’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने तक सिंह से कहा, ‘‘मैं प्रधान न्यायाधीश हूं। मैं 29 मार्च, 2000 से यहां हूं। मैं 22 साल से इस पेशे में हूं। मैंने कभी खुद पर बार के किसी सदस्य, वादी या अन्य किसी द्वारा दबाव नहीं बनाने दिया है। मैं अपने करियर के आखिरी 2 साल में भी ऐसा नहीं करुंगा।’’

हालांकि, सिंह ने अपना पक्ष रखना जारी रखा। उन्होंने कहा, ‘‘यह कोई अक्खड़पन नहीं है। अगर एससीबीए इस अदालत के साथ सहयोग कर रहा है तो इसका यह मतलब नहीं कि उसे हल्के में लिया जाना चाहिए। मुझे पुरजोर तरीके से ऐसा लगता है। मैं इस बात को बहुत स्पष्ट करना चाहता हूं।’’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अपना एजेंडा अदालत कक्ष के बाहर सुलझाइए।’’ इसके बाद उन्होंने अगले मामले को पेश करने को कहा।

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जब मामलों का उल्लेख समाप्त हुआ तो शिवसेना के एक मामले के लिए कोर्ट में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बार की तरफ से अफसोस जताते हुए कहा, ‘‘आज सुबह जो हुआ, उसके लिए मुझे खेद है। मैं माफी मांगता हूं। एक लक्ष्मण रेखा है, जिसे हममें से किसी को पार नहीं करना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि बार को मर्यादा की सीमाओं को पार करना चाहिए।’’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस तरह के बर्ताव की कोई जरूरत नहीं है। हम यहां पूरे दिन बैठते हैं और हर दिन 70-80 मामलों को लेते हैं। इन सब मामलों के लिए मैं अपने स्टाफ के साथ शाम को बैठता हूं और उन्हें तारीख देता हूं।’’ वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने भी अफसोस जताते हुए कहा, ‘‘जो कुछ हुआ, उससे हम सभी समान रूप से दुखी हैं।’’

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