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Covishield Vaccine: क्या कोविशील्ड लगवाने से हो जाती है मौत, जानें कंपनी पर क्यों आई 1000 करोड़ जुर्माना भरने की नौबत

​Covishield Vaccine:कोरोना के खिलाफ बनी कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर अब तक की सबसे बड़ी और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। इससे कोविशील्ड लगवाने वाले लोगों में हलचल मच गई है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra
Published : Sep 02, 2022 17:55 IST, Updated : Sep 03, 2022 12:39 IST
Covishield
Image Source : INDIA TV Covishield

Highlights

  • कोविशील्ड लगवाने से मौत होने का दावा
  • मुंबई के शिकायतकर्ता की याचिका पर हाईकोर्ट ने सीरम इंस्टीट्यूट व अन्य को भेजा नोटिस
  • याचिकाकर्ता ने बेटी की मौत के लिए मांगा एक हजार करोड़ का जुर्माना

Covishield Vaccine:कोरोना के खिलाफ बनी कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर अब तक की सबसे बड़ी और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। इससे कोविशील्ड लगवाने वाले लोगों में हलचल मच गई है। दरअसल मुंबई एक युवती के पिता ने अपनी बेटी की मौत के लिए कोविशील्ड को जिम्मेदार ठहराते हुए बाम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इससे हाईकोर्ट भी हैरान रह गया। मगर जब इस संबंध में याचिकाकर्ता ने तमाम रिपोर्टों और दस्तावेजों को पेश किया तो जज भी चक्कर में पड़ गए। अब  प्राथमिक तथ्यों और सुबूतों को देखते हुए हाईकोर्ट ने कंपनी को नोटिस भेजकर जवाब मांग लिया है। याचिकाकर्ता ने कंपनी से 1000 करोड़ रुपये का जुर्माना भी मांगा है।

ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या कोविशील्ड लगवाने से वाकई लोगों की मौत हो जाती है। क्या कोविड लगवाने के बाद हुई तमाम मौतों की वजह यही वैक्सीन थी, इस बारे में अभी जांच होना बाकी है। मगर बाम्बे हाईकोर्ट के नोटिस से इतना तो तय है कि मामले में कुछ न कुछ दम जरूर है। अब जिम्मेदारों को याचिकाकर्ता के आरोपों का हाईकोर्ट के सामने पेश होकर जवाब देना होगा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा। 

किसने दायर की याचिका

 याचिकाकर्ता दिलीप लुनावत ने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के संस्थापक बिल गेट्स, केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और भारत के औषधि महानियंत्रक को भी इस मामले में पक्षकार बनाया है। गेट्स के फाउंडेशन ने एसआईआई कंपनी के साथ भागीदारी की थी। न्यायमूर्ति एस.वी. गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने 26 अगस्त को याचिका पर सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया।  उच्च न्यायालय ने याचिका पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और अन्य से जवाब मांगा है जिसमें याचिकाकर्ता ने अपनी बेटी की मौत के लिए कोविशील्ड टीका को दोषी ठहराया और टीका कंपनी से 1,000 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है। मामले की सुनवाई 17 नवंबर को होगी। 

मेडिकल छात्रा को जबरन टीका लगवाने का आरोप
याचिकाकर्ता ने के अनुसार उनकी बेटी स्नेहल लुनावत मेडिकल छात्रा थी और उसे 28 जनवरी, 2021 को नासिक में अपने कॉलेज में एसआइआइ द्वारा तैयार कोविड टीका कोविशील्ड लेने के लिए मजबूर किया गया, क्योंकि वह स्वास्थ्य कार्यकर्ता थी। पिता का आरोप है कि बेटी को बाध्य नहीं किया गया होता तो वह कोविशील्ड वैक्सीन नहीं लगवाना चाहती थी। मगर दबाव बनाने जाने से उसने वैक्सीन लगवा ली। दावा है कि इसी के कुछ दिनों बाद स्नेहल को तेज सिरदर्द और उल्टी हुई और उसे अस्पताल ले जाया गया।

कोविशील्ड वैक्सीन की वजह से दिमाग में रक्तस्राव
याचिका कर्ता का दावा है कि जब उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया तो डॉक्टरों ने कहा कि उनकी बेटी के दिमाग में रक्त स्राव हो रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह के अचानक दिमाग में रक्तस्राव की वजह कुछ और नहीं हो सकती। बेटी की हालत टीका लगाने से ही गंभीर हुई और एक मार्च, 2021 को स्नेहल की मृत्यु हो गई। इसमें दावा किया गया है कि मौत का कारण कारण टीका का दुष्प्रभाव था। 

देश में कई अन्य मामले भी हो चुके रिपोर्ट
याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत में देश में सामने आए कई अन्य मामलों को भी इसका आधार बनाया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि दो अक्टूबर, 2021 को टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं (एईएफआई) संबंधी मामलों पर केंद्र सरकार की समिति द्वारा पेश एक रिपोर्ट को पेश की गई थी। जिसमें कथित तौर पर स्वीकार किया गया था कि उनकी बेटी की मौत कोविशील्ड टीका के दुष्प्रभावों के कारण हुई थी। याचिका में एसआईआई से 1,000 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की गई है। याचिकाकर्ता के अनुसार देश में कई अन्य मृतकों के परिवारजनों ने भी इस तरह का दावा किया था, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया। 

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