Monday, December 23, 2024
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जवाहर लाल नेहरू का इलाज करने वाले डॉक्टर का निधन, 96 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

जवाहर लाल नेहरू का इलाज करने वाले डॉक्टर गोबिंद चंद्र दास का 96 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। डॉक्टर गोबिंद चंद्र दास ओडिशा के केंद्रपाड़ा शहर के रहने वाले थे।

Edited By: Pankaj Yadav @ThePankajY
Published : Dec 23, 2022 22:21 IST, Updated : Dec 23, 2022 22:21 IST
डॉक्टर गोबिंद चंद्र दास जिन्होंने 1964 में जवाहर लाल नेहरू का इलाज किया था।
डॉक्टर गोबिंद चंद्र दास जिन्होंने 1964 में जवाहर लाल नेहरू का इलाज किया था।

जवाहर लाल नेहरू का इलाज करने वाले डॉक्टर गोबिंद चंद्र दास का 96 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। डॉक्टर गोबिंद चंद्र दास ओडिशा के केंद्रपाड़ा शहर के रहने वाले थे। दास के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। दास ने 1964 में जवाहरलाल नेहरू का तब इलाज किया था जब वह भुवनेश्वर के दौरे पर आए थे। उस वक्त वह कांग्रेस के 68वें सत्र को संबोधित करते समय बीमार पड़ गए थे।

दास ने नेहरू का इलाज कर आराम करने की सलाह दी थी

तब गोबिंद चंद्र दास ओडिशा के राज्यपाल के निजी चिकित्सक के तौर पर तैनात थे। उन्होंने नेहरू की मेडिकल जांच की थी और उनसे सभी कार्यक्रमों को रद्द करते हुए अगले छह दिन फुल रेस्ट करने की सलाह दी थी, जिसका तत्कालीन प्रधानमंत्री ने पालन किया था। केंद्रपाड़ा के विधायक शशिभूषण बेहरा और शहर के अन्य जानेमाने लोगों ने दास के निधन पर शोक व्यक्त किया।

नेहरू की अंतिम इच्छा

जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे। उनका निधन 27 मई 1964 को हुआ था। जब उनका निधन हुआ तब उनकी उम्र 74 वर्ष थी। नेहरू जी ने अपने अंतिम समय में अपनी वसियत में अपनी अंतिम इच्छा के बारे में लिखा था। उन्होंने वसियत में लिखा था कि जब मेरी मृत्यु हो तो किसी भी प्रकार का अनुष्ठान न कराया जाए। मै अनुष्ठान में विश्वास नहीं रखता। मेरी मृत्यु के बाद ऐसा करना पाखंड होगा। मैं चाहता हूं कि मेरी मृत्यु के बाद मेरा दाह संस्कार कर दिया जाए।

यदि मैं उस दौरान विदेश में रहूं तो मेरा वहीं दाह संस्कार किया जाए और मेरी अस्थियों को इलाहाबाद लाया जाए। मेरी कुछ अस्थियों को प्रयागराज के संगम नदी में बहा दिया जाए जो इस देश के दामन को चूमते हुए समंदर में जा मिले। इसके बाद मेरी कुछ अस्थियों को हिंदुस्तान के खेतों में बिखेर दिया जाए। जहां इस देश के मेहनतकश मजदूर काम करते हैं। इसके बाद उन्होंने लिखा कि मेरी अस्थियों को बचाकर न रखा जाए उन्हें देश के हर हिस्से में बिखेर दिए जाए। 

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