अयोध्या के राम मंदिर में आज राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई। भगवान राम 500 साल बाद गर्भ गृह में विराजमान हो गए हैं। इस बीच देश भर में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ताओं ने इस ऐतिहासिक पल को उत्सव की तरह मनाया। इस मौके पर हर तरफ जश्न और उत्सव का माहौल रहा। मुस्लिमों ने जय श्री राम के नारे लगाए और एक दूसरे को बधाई दी। इसी क्रम में आज आजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, हज़रत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी समेत देश की अनेकों दरगाहें, मकबरे और मदरसों पर दिये जलाए गए। राम उत्सव को मनाते हुए मुसलमानों ने कहा कि आ गए राजा राम। साथ ही शांति,समृद्धि और सौहार्द की दुआएं भी की गई।
जश्र-ए-चिरागा
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने बताया कि राल लला के विराजमान होने के मौके पर अयोध्या में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की तरफ से राष्ट्रीय संयोजक सय्यद रज़ा हुसैन रिजवी, गो सेवा और पर्यावरण प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद फैज खान और राजस्थान से पद्मश्री अनवार खान मौजूद रहे। दूसरी तरफ, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ताओं ने देश की प्रमुख छोटी बड़ी दरगाहों, मदरसों, खानकाहों, मुस्लिम मुहल्लों, घरों और गलियों को चिरागों, दीयों, रंगीन बल्ब से रोशन किया। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक, क्षेत्र, प्रांत एवं जिले के संयोजक व सह संयोजक और कार्यकर्तागण ने देश के अलग-अलग हिस्सों में राम उत्सव को बड़े ही धूम धाम से मनाया।
500 वर्षों का झगड़ा भाईचारे में बदल गया
खास जगहों को रोशन करने के अलावा मदरसों, मकतबों, मस्जिदों में आयते करीमा पढ़ा गया और देश की शांति, अमन और सौहार्द के लिए दुआएं की गई। बड़ी तादाद में इकट्ठा हुए मुसलमानों ने माना कि राम लला के 500 वर्षों बाद गर्भ गृह में विराजमान होने से देश भर में खुशी और उत्सव का माहौल है। हर कोई राममय हो रहा है। ऐसे में देश के मुस्लिम भी इसमें पीछे नहीं रह सकते। चिरागा में शरीक लोगों ने आपस में खुशियां बांटी। मौजूद लोगों ने कहा कि राम हमारे पूर्वज हैं और इस नाते वो हर किसी के लिए माननीय और सम्मानीय हैं और यही हकीकत है। लोगों ने कहा कि 500 वर्षों का झगड़ा आपसी भाईचारे और अमन में बदल गया है।
इन खास दरगाहों पर जले दिये
बता दें कि जिन जगहों को रोशन किया गया उनमें खास रहीं अजमेर की ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, सरवद शरीफ गरीब नवाज के साहबजादे की दरगाह, दिल्ली में मेहरौली की हज़रत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी दरगाह, निज़ामुद्दिन की पत्ते शाह पीर की दरगाह, दिल्ली के मटका पीर की दरगाह, लखनऊ की हाफिज पीर बाबा और समोधन शाह बाबा की दरगाह। इसके अलावा मुंबई, कोलकाता, पटना, भागलपुर, कानपुर, अलीगढ़, भोपाल, हैदराबाद, बेंगलुरु समेत देश के कई दरगाहों और मजारों पर दिये जलाए गए और एकता अखंडता संप्रभुता की दुआएं मांगी गई।
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