Sunday, December 22, 2024
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Divyang Student in J&k: पहाड़ी रास्तों पर एक पैर से 2 किमी चलकर स्कूल पहुंचता है दिव्यांग, देखें Vedio

Divyang Student in J&k: कहते हैं कि इरादे बुलंद हों तो हर मुश्किल रास्ते आसान हो जाते हैं। जम्मू कश्मीर के एक 9वीं साल के दिव्यांग छात्र परवेज अहमद ऐसा ही उदाहरण सामने रखा है।

Edited by: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated : June 04, 2022 8:04 IST
Divyang Student
Image Source : ANI Divyang Student

Highlights

  • रोज जर्जर पहाड़ियों पर चलकर पहुंचते हैं स्कूल
  • खेलों में रुचि, दूसरे छात्रों की बराबरी के करते हैं पूरी मेहनत
  • आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा सके पिता

Divyang Student in J&k: कहते हैं कि इरादे बुलंद हों तो हर मुश्किल रास्ते आसान हो जाते हैं। जम्मू कश्मीर के एक 9वीं साल के दिव्यांग छात्र परवेज अहमद ऐसा ही उदाहरणसामने रखा है। अपने सपनों को साकार करने के लिए यह दिव्यांग लड़का एक पैर के जरिए स्कूल जाता है। उसे एक पैर पर संतुलन बनाते हुए 2 किमी की दूरी तय करनी होती है, लेकिन हार नहीं मानता है।

कश्मीर घाटी में 4 कदम चलने पर सांस फूल जाती है, लेकिन यह दिव्यांग छात्र एक पैर पर 2 किमी दूर स्कूल जाता है। कश्मीर घाटी के हंदवाड़ा के रहने वाले परवेज अहमद जब सिर्फ 6 महीने के थे, तब आग की घटना में अपना एक पैर खो बैठे। अब इनकी उम्र 14 साल है। ये 9वीं में पढ़ते हैं। डॉक्टर बनना चाहते हैं, इसलिए तमाम तकलीफों को किनारे रखकर एक पैर पर करीब 2 किमी चलकर स्कूल पहुंचते हैं। 

जर्जर पहाड़ियों पर रोज चलकर पहुंचते हैं स्कूल

परवेज के पिता मजदूर हैं। परवेज बताते हैं कि वे रोजाना स्कूल पहुंचने के लिए करीब दो किलोमीटर पैदल (एक पैर पर) चलते हैं। वे सुबह 9 बजे स्कूल के लिए निकलते हैं। चूंकि यह पहाड़ी इलाका है और सड़क बेहद जर्जर, इसलिए 2 किमी की दूरी तय करने में अक्सर 1 घंटा लग जाता है। परवेज कहते हैं कि घर वापस लौटते समय अक्कर एक पैर पर चलने में भारी कठिनाई होती है, लेकिन उन्हें डॉक्टर बनना है, इसलिए हार नहीं मानेंगे।

खेलों में रुचि, दूसरे छात्रों की बराबरी के करते हैं पूरी मेहनत

परवेज कहते हैं कि कई दोस्त उनसे बाद में घर से निकलते हैं और पहले स्कूल पहुंच जाते हैं। यह देखकर कभी-कभी बुरा लगता है, लेकिन वे निराश नहीं होते। उम्मीद नहीं छोड़ते। परवेज बाकी स्टूडेंट्स के साथ पढ़ाई-लिखाई में कॉम्पटीशन करने में भी पीछे नहीं हैं। परवेज वॉलीबॉल और क्रिकेट का प्लेयर है। वे जोश से कहते हैं कि अगर उन्हें सही कोचिंग मिल जाए, तो बड़े प्लेटफॉर्म पर बेहतर प्रदर्शन की क्षमता रखते हैं। परवेज के टीचर खुर्शीद अहमद कहते हैं कि परवेज अपनी क्लास के बाकी स्टूडेंट्स के साथ खेलता है। वो दोनों ही खेलों में अपना ऑलराउंडर प्रदर्शन देने पूरी मेहनत करता है।

आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा सके पिता

परवेज की कहानी बिहार के जमुई जिले के फतेहपुर ब्लॉक की रहने वाली सीमा कुमारी से मिलती-जुलती है, जिसका भी बायां पैर 2 साल पहले एक हादसे में कट गया था। दोनों के परिजन गरीबी के कारण इलाज कराने में अक्षम थे। हालांकि सीमा का मामला मीडिया में आने के बाद बिहार सरकार के एजुकेशन डिपार्टमेंट ने उसके लिए आर्टिफिशियल पैर और ट्राइसाइकिल की व्यवस्था कर दी है। लेकिन परवेज को अभी इसका इंतजार है। परवेज के पिता गुलाम अहमद हाजम ने मायूसी से कहा कि आर्थिक तंगी के कारण वह अपने बेटे के इलाज का खर्च नहीं उठा सकते।

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