Highlights
- पहली धर्म संसद का आयोजन 1984 में राजधानी दिल्ली में हुआ था
- पहली धर्म संसद में रामजन्मभूमि आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया गया
- पिछले साल हरिद्वार, रायपुर की धर्म संसद में दिए गए जहरीले भाषण
Dharma Sansad Explainer: धर्म संसद एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार अलीगढ़ में आयोजित धर्म संसद में एक बार फिर संतों ने हिंदू धर्म को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की। सबसे बड़ी चिंता हिंदुओं की घटती संख्या को लेकर जताई गई। यह कहा गया कि अगर इसी तरह से हिंदुओं का जनसंख्या का अनुपात दिन ब दिन घटता गया तो आनेवाले दिनों में देश में एक मंदिर भी नहीं मिलेगा और हिंदुओं को काफी मुश्किलों से भरे हालात का सामना करना पड़ेगा। इस धर्म संसद में हिंदुओं से ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की गई। अलीगढ़ धर्म संसद पर और ज्यादा चर्चा करने से पहले हम यह जानने की कशिश करते हैं कि आखिर धर्म संसद क्या है और क्यों अक्सर सुर्खियों की वजह बनता है।
धर्म संसद क्या है
जैसा कि नाम से ही जाहिर कि धर्म की संसद या साधु-संतों का एक ऐसा खुला मंच जहां धर्म से जुड़े विषयों पर खुली चर्चा होती हो। यूं तो अगर इसकी पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो सबसे पहला चेहरा स्वामी विवेकानंद का आता है जिन्होंने अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में अपने संबोधन से पूरी दुनिया के धर्मावलंबियों का दिल जीत लिया था। लेकिन भारत में हाल के दिनों में जिस धर्म संसद की परंपरा शुरू हुई है वह हिंदू सिर्फ धर्मावलंबियों का मंच होता है। इस मंच पर हिंदू संत समाज के प्रतिनिधि अपना मत रखते हैं। धर्म संसद में चर्चा का विषय धर्म के विस्तार से लेकर धर्म के अंदर की कुरीतियों को खत्म करने का होना चाहिए लेकिन आजकल धर्म संसद में जिस तरह के बयान दिए जाते हैं वो बेहद जहरीले होते हैं और उसमें धर्म विशेष पर निशाना भी साधा जाता है। जानकारों का मानना है कि धर्म संसद से ज्यादा कट्टरपंधियों का मंच बनता जा रहा है।
पहली धर्म संसद का आयोजन
पिछले दो-तीन दशकों के घटनाक्रम पर अगर नजर डालें तो पहली धर्म संसद का आयोजन विश्व हिंदू परिषद की तरफ से 1984 में राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में हुआ था। यह धर्म संसद इसलिए ऐतिहासिक था कि यहीं पर रामजन्मभूमि आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया गया था। इसके बाद अगले ही साल वर्ष 1985 में उडुपी में आयोजित अगली धर्म संसद में कुल 8 प्रस्ताव पारित किए गए थे। इस प्रस्तावों में एक मांग यह भी थी कि रामजन्मभूमि, कृष्णजन्मस्थान और काशी विश्वनाथ परिसर को तत्काल हिंदू समाज को सौंप दिया जाए।
क्यों विवादों में है धर्म संसद ?
इसके बाद तो हर साल देश के विभिन्न शहरों में समय-समय पर धर्म संसद का आयोजन होता रहा। पहले के धर्म संसद में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा ही प्रमुख होता था लेकिन जब से सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हुआ है, तब से अब तक धर्म संसद के अंदर होनेवाली चर्चाओं का स्वरूप और उसका स्तर भी बदल गया है। पिछले साल हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद को लेकर सबसे ज्यादा विवाद हुआ। इसमें बेहद जहरीले भाषण दिए गए। वहीं छत्तीसगढ़ के रायपुर में कालीचरण महाराज का महात्मा गांधी के ऊपर दिया गया बयान भी काफी वायरल हुआ और उसकी हर ओर निंदा हुई। हरिद्वार और रायपुर में संपन्न धर्म संसद के मामले में उन राज्यों की सरकारों ने एक्शन लिया। एफआईआर दर्ज हुई और गिरफ्तारियां भी हुईं। आइये एक-एक कर इन विवादों के बारे में जानते हैं।
हरिद्वार धर्म संसद विवाद
हरिद्वार में पिछले साल 17 से 19 दिसंबर तक आयोजित धर्म संसद में बेहद जहरीले भाषण दिए गए थे। सोशल मीडिया पर धर्म संसद का वीडियो वायरल होने पर खूब हंगामा मचा था और ऐसे जहरीले भाषण देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई थी। अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए कथित तौर पर नफरत भरे भाषण देने के सिलसिले में जितेन्द्र नारायण त्यागी एवं महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज समेत कई लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस प्रथामिकी के आधार पर गिरफ्तारियां भी हुईं। जितेंद्र नारायण त्यागी पहले वसीम रिजवी के नाम से जाने जाते थे। उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन करते हुए हिंदू धर्म अपनाया था। इसके कुछ ही दिनों बाद हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में उन्होंने नफरती भाषण दिए थे।
रायपुर धर्म संसद विवाद
पिछले साल दिसंबर महीने में अभी हरिद्वार धर्म संसद का विवाद ठंडा भी नहीं पड़ा था कि रायपुर धर्म संसद का विवाद सुर्खियों में छा गया। दरअसल, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित धर्म संसद में 'भारत को एक हिंदू राष्ट्र कैसे बनाया जाए' विषय पर चर्चा हो रही थी। इस चर्चा के दौरान कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी के लिए कथित तौर पर अपशब्दों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने अपने भाषण में नाथू राम गोडे की तारीफ की थी। कालीचरण महाराज ने लोगों से कहा था कि धर्म की रक्षा के लिए एक कट्टर हिंदू नेता को सरकार के मुखिया के तौर पर चुनना चाहिए। कालीचरण महाराज के भाषण का वीडियो वायरल होने के बाद उनके ऊपर मुकदमा दर्ज हुआ था। लेकिन वे इस दौरान अंडरग्राउंड हो गए। कुछ दिनों बाद मध्यप्रदेश के खजुराहो शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर बागेश्वर धाम के पास किराए के मकान से गिरफ्तार किया गया था।