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Devas-Antrix Case: भारत के खिलाफ 15,000 करोड़ रुपये कुर्की का था आर्डर, दिल्ली हाई कोर्ट ने रद्द किया ICC का आदेश

Devas- Antrix Deal Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने देवास-एंट्रिक्स मामले में आईसीसी का आदेश रद्द कर दिया है। इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स ने ISRO की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स को देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड को ब्याज सहित 560 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के हर्जाने का भुगतान करने का निर्देश दिया था।

Edited By: Swayam Prakash @SwayamNiranjan
Published : Aug 29, 2022 16:49 IST, Updated : Aug 29, 2022 18:36 IST
Delhi High Court sets aside the order of ICC in Devas-Antrix deal case
Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE Delhi High Court sets aside the order of ICC in Devas-Antrix deal case

Highlights

  • दिल्ली हाई कोर्ट का देवास-एंट्रिक्स मामले में बड़ा फैसला
  • कोर्ट ने इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स का आदेश रद्द किया
  • 560 मिलियन डॉलर से अधिक के हर्जाने के भुगतान का था आदेश

Devas- Antrix Deal Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने देवास-एंट्रिक्स मामले में आईसीसी का आदेश रद्द कर दिया है। इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स ने ISRO की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स को देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड को ब्याज सहित 560 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के हर्जाने का भुगतान करने का निर्देश दिया था। इस मामले में अब दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस आदेश को रद्द कर दिया है।

फरवरी में भारत सरकार को भेजा था मध्यस्थता का नोटिस

दिल्ली उच्च न्यायालय ने देवास-एंट्रिक्स मामले में इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) मध्यस्थता पैनल द्वारा दिए गए भारत सरकार के खिलाफ 15,000 करोड़ रुपये के कुर्की आदेश को रद्द कर दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह के अनुसार, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय सचदेवा ने यह आदेश दिया है। बता दें कि देवास मॉरीशस के शेयरधारकों ने 2 फरवरी को भारत सरकार को मध्यस्थता का नोटिस भेजा, ताकि इस मामले में भारत द्वारा देय देवास को इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के 1.3 बिलियन डॉलर के हर्जाने में अपना हिस्सा सीधे सुरक्षित किया जा सके। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले में क्या कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन की याचिका को स्वीकार किया और देवास मल्टीमीडिया के दावे पर आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल द्वारा पारित 14.9.2015 के आर्बिट्रल हर्जाने को रद्द कर दिया। बता दें कि इस मामले में भारत सरकार के लिए मनिंदर सिंह ये पूरी लड़ाई लड़ी है। न्यायालय ने माना कि 14.9.2015 का आक्षेपित अवॉर्ड पेटेंट अवैधताओं और धोखाधड़ी से ग्रस्त है और भारत की सार्वजनिक नीति के विरुद्ध है।

Maninder Singh fought for the Indian Government

Image Source : INDIA TV
Maninder Singh fought for the Indian Government

कोर्ट ने फैसला पारित करते हुए पाया कि आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल ने प्री-कॉन्ट्रेक्चुअल नेगोशिएन्स से संबंधित साक्ष्यों को गलत तरीके से बाहर रखा है जो कि वह नहीं कर सकता था और यही कारण है कि अवॉर्ड में पेटेंट अवैधता को प्रतिबद्ध किया है। 

क्या है देवास-एंट्रिक्स डील मामला
देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड को सितंबर 2015 में इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स मध्यस्थता पैनल ने 562 मिलियन डॉलर का हर्जाना देने का अदेश दिया था, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि एंट्रिक्स ने देवास के लिए सैटेलाइट बनाने के कॉन्ट्रैक्ट को अनुचित तरीके से रद्द कर दिया था। एक अमेरिकी अदालत ने अक्टूबर 2020 में ICC के हर्जाने के फैसले को बरकरार रखा था। ISRO की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स ने 2011 में व्यवसाय के साथ एक सैटेलाइट व्यवस्था को रद्द कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप एक दशक लंबा कानूनी विवाद हुआ। नतीजतन, देवास के शेयरधारक देवास को 1.2 अरब डॉलर का इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स मध्यस्थता हर्जाना देने का दवाब बना रहे हैं।

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