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बीहड़ 20 हजार फुट...माइनस 60 डिग्री तापमान, उस सियाचिन में चीन है; मत चूको "चौहान"

India Vs China: हिमालय पर्वत की काराकोरम श्रृंखला में तकरीबन 20 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र "सियाचिन" का सीना भारतीय शेरनी के आने से और भी चौड़ा हो गया है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jan 08, 2023 12:55 IST, Updated : Jan 09, 2023 7:38 IST
शिवा चौहान (फाइल)
Image Source : FILE शिवा चौहान (फाइल)

India Vs China: हिमालय पर्वत की काराकोरम श्रृंखला में तकरीबन 20 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र "सियाचिन" का सीना भारतीय शेरनी के आने से और भी चौड़ा हो गया है। इस बीहड़ और दुर्गम ऊंचाई वाले क्षेत्र में अभी तक देश के जवान ही दुश्मन चीन को चुनौती दे रहे थे, मगर अब भारत ने इस युद्ध क्षेत्र में पहली महिला सैन्य अधिकारी शिवानी चौहान की तैनाती की है। भले ही शिवानी सियाचिन के युद्ध क्षेत्र में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी हैं, लेकिन उन्होंने अन्य भारतीय महिलाओं के लिए भी गर्व की प्रतीक बन गई हैं, जो शीघ्र ही उन्हीं दुर्गम क्षेत्रों में तैनात की जाएंगी। भारतीय शेरनियों की इस जीवटता को देखकर चीन भी हैरान है।

क्योंकि सियाचिन में सर्दियों में शून्य से माइनस 60 डिग्री तक नीचे चला जाता है। यहां चलने वाली सर्द हवाएं और बर्फ के थपेड़े गाल पर पड़ते ही खून निकाल देते हैं। 20 हजार फुट की दुर्गम ऊंचाई वाले इस क्षेत्र में सांसें तक जम जाती हैं, रगों का खून तक सर्द हो जाता है, मगर भारतीय सैनिकों का नहीं। क्योंकि भारतीय सैनिकों का खून दुश्मन चीन को मात देने के लिए हर वक्त माइनस 60 डिग्री में भी खौलता रहता है। सेना के जवान जब सांस लेते हैं तो उन सांसों की गर्मी से उल्टे बर्फ तक पिघलने लगती है। भारतीय सैनिकों का यही हौसला और शौर्य दुश्मन चीन की हर चाल को बार-बार विफल करता आ रहा है।

दुश्मन चीन के छक्के छुड़ाएगी महिला सेना

राजस्थान की शिवा चौहान के लिए इससे बड़े गर्व के पल शायद और कोई नहीं हो सकते। क्योंकि "चौहान" देश की हिफाजत में 20 हजार फुट ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में तैनात की गई हैं। वह यहां से अन्य महिला सेनाकर्मियों को भी हौसला दे रही हैं कि दुश्मन चीन अपने सीमा क्षेत्र में कहीं नजर आ जाए तो चूकना नहीं है। चीन को उसी की भाषा में कड़ा जवाब देना है। अभी तक चीन ने सिर्फ सेना का पराक्रम ही देखा था, अब वह भारतीय शेरनियों का भी युद्ध कौशल देखेगा। देश के लिए यह पहला मौका है, जब किसी महिला को इतनी सख्त परिस्थितियों वाले सियाचिन इलाके में तैनात किया गया है। वहां हाड़ कंपा देने वाली सर्दी का आलम यह है कि तापमान शून्य से 40 से 60 डिग्री तक नीचे चला जाता है।

जानें कौन हैं शिवा चौहान
सियाचिन में कभी-कभी इतने अधिक बर्फीले तूफान आते हैं कि पहाड़ों पर जमी बर्फ की परतें भरभराकर नीचे आने लगती हैं और ऊंचाई के कारण होने वाली बीमारियां जान जोखिम में डाल देती हैं, लेकिन इन सबसे ऊपर देश की हिफाजत का जज्बा जैसे बाकी हर मुश्किल को आसान कर देता है। सियाचिन में कुमार पोस्ट पर तैनात शिवा चौहान का जन्म 18 जुलाई 1997 को राजस्थान के उदयपुर में राजेन्द्र सिंह चौहान और अंजलि चौहान के यहां हुआ। उन्होंने उदयपुर के सेंट एंथोनी सीनियर सेकंडरी स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद उदयपुर के ही एनजेआर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक स्तर की शिक्षा पूरी की। शिवा ने बहुत छोटी उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था। उनकी एक बड़ी बहन शुभम चौहान भारतीय न्यायिक सेवा में जाने की तैयारी कर रही हैं।

चेन्नई में पूरी की ट्रेनिंग
2020 में चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में प्रशिक्षण पूरा करने के बाद शिवानी को मई 2021 में इंजीनियर रेजीमेंट में शामिल किया गया। सेना के अधिकारियों ने बताया कि शिवा को एक महीने सियाचिन बैटल स्कूल में कठिन प्रशिक्षण के बाद तीन महीने के लिए 15,600 फुट की ऊंचाई पर स्थित कुमार पोस्ट पर तैनात किया गया है। इससे पहले तक महिलाओं को सियाचिन आधार शिविर में ही तैनात किया जाता था जो 9,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। सेना ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘यह भारतीय सेना के लिए गौरवपूर्ण क्षण है, जब कैप्टन शिवा चौहान को दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन में तैनात किया गया है। उन्हें अन्य अधिकारियों के साथ एक महीने की ट्रेनिंग के सफल समापन के बाद यह मौका मिला।

पीएम मोदी और रक्षामंत्री ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शिवा चौहान को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने जहां इसे नारी शक्ति की एक और विजय बताया, वहीं रक्षा मंत्री ने कहा कि वह सशस्त्र सेनाओं में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं के आने से बहुत खुश हैं। उम्मीद है कि सियाचिन की उजली बर्फ पर चमकते शिवा के कदमों के निशान देश की बहुत सी लड़कियों को इस रास्ते पर चलने की प्रेरणा देंगे। इससे सेना में महिलाओं की भागीदारी और मजबूत होगी।

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